कला कर्म है और परिवर्तन उसका लक्ष्य मंचदूतम ने मनाया अपना स्थापना दिवस
कला कर्म है और परिवर्तन उसका लक्ष्य मंचदूतम ने मनाया अपना स्थापना दिवस
बनारस:- कला का उद्देश्य अपने समय की विसंगतियों को दिखाते हुए आमजन के अन्दर परिवर्तन के सपने को जिंदा रखना है, ऐसे में कलाकर की भूमिका स्वप्न दृष्टा की होनी चाहिए जो बेहतर जिंदगी के सपनों को मरने न दे। शहर की अग्रणी नाट्य संस्था मंचदूतम के स्थापना दिवस के अवसर पर मीरापुर बसही स्थित कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम *रुकना नहीं है* में उपस्थित वक्ताओं ने उक्त बातें कही। संस्था की ओर से वरिष्ठ रंगकर्मी अजय रौशन ने मंचदूतम के आठ साल के सफर पर प्रकाश डालते हुए संस्था की उपलब्धियों को बताया।
उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान मंजिल से ज्यादा सफर पर है जो जारी रहेगा। मौके पर उपस्थित कलाकारों ने अपने अनुभवों को लोगो के बीच साझा किया, गीत और कविताओं का भी पाठ किया गया।
इस मौके पर ज्योति, नव्या,गोपाल पटेल, शेषनाथ यादव,शिवम चौबे,अमन श्रीवास्तव, उज्वल सिंह, गौतम कुमार,बाबूलाल पटेल ,उमेश चंद मौर्य, माया मौर्य,संतोष कुमार सिंह, राजकुमार,अशोक कुमार आदि लोग मौजूद थे।
रिपोर्ट- भास्कर गुहा.नियोगी
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