•   Sunday, 02 Nov, 2025
Police Commissioner of Varanasi Mohit Agarwal organized a seminar with police pensioners and made them aware about three new laws and cyber crime.

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी मोहित अग्रवाल द्वारा पुलिस पेंशनर्स की गोष्ठी कर तीन नए कानून एवं साइबर अपराध के सम्बन्ध में किया गया जागरूक

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  Varanasi ki aawaz

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी मोहित अग्रवाल द्वारा पुलिस पेंशनर्स की गोष्ठी कर तीन नए कानून एवं साइबर अपराध के सम्बन्ध में किया गया जागरूक

तीन नए कानून के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों पर चर्चा की गयी-

1. जीरो एफआईआर का प्रावधानः- अगर किसी व्यक्ति के साथ अपराध होता है और वह किसी भी कारण से अपने क्षेत्र के थाने तक तुरंत नहीं पहुँच सकता, तो वह देश के किसी भी पुलिस थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करा सकता है। जैसे- यदि वाराणसी का कोई व्यक्ति लखनऊ में अपराध का शिकार हुआ है, तो वह वाराणसी के किसी भी थाने में जाकर Zero FIR दर्ज करा सकता है। बाद में वह एफआईआर लखनऊ पुलिस को भेज दी जाएगी । 

कमिश्नरेट वाराणसी में अब तक कुल 35 जीरो एफआईआर पंजीकृत की गईं, जिन्हें विधिक प्रक्रिया के अनुसार संबंधित जिलों/राज्यों को जांच हेतु स्थानांतरित किया गया ।

2. ई-एफआईआर सुविधा:- ई-एफआईआर का मतलब है — ऑनलाइन एफआईआर यानि अगर किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध होता है, तो वह थाने गए बिना, इंटरनेट के माध्यम से ही अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज करा सकता है । जैसे- एक व्यक्ति का मोबाइल फोन वाराणसी रेलवे स्टेशन पर चोरी हो गया । व्यक्ति ने uppolice.gov.in पर जाकर “E-FIR” सेक्शन में अपनी जानकारी और मोबाइल का IMEI नंबर भरकर शिकायत दर्ज की। उसे एक E-FIR नंबर मिला और उसकी रिपोर्ट संबंधित थाना को भेज दी गई।

कमिश्नरेट वाराणसी में नागरिकों की सुविधा हेतु 327 ई-एफआईआर दर्ज की गईं, जिससे पीड़ितों को थाने में आए बिना ही ऑनलाइन रिपोर्टिंग की सुविधा प्राप्त हुई।

3. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायिक साक्ष्य:- अगर किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित होना कठिन है — जैसे वह किसी दूसरे शहर या स्थान पर है — तो उसका बयान या गवाही वीडियो कॉल या वीडियो लिंक के माध्यम से रिकॉर्ड की जा सकती है। इस प्रक्रिया को ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा न्यायिक साक्ष्य देना कहा जाता है। 

न्यायिक प्रक्रिया को सुगम व समयबद्ध बनाने हेतु 824 पेंशनर्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिली।

4. फॉरेंसिक एविडेंस का अनिवार्य उपयोग:- जब अपराध की जांच के दौरान वैज्ञानिक तरीके से मिले सबूतों (जैसे डीएनए टेस्ट, फिंगरप्रिंट, मोबाइल डाटा, CCTV आदि) का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए, ताकि जांच सटीक, निष्पक्ष और प्रमाणिक बने । 

गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि सुनिश्चित करने हेतु 2431 मामलों में फॉरेंसिक एविडेंस संकलित कराया गया है, जिससे 07 वर्ष से अधिक दंडनीय अपराधों में ठोस साक्ष्य के आधार पर सजा सुनिश्चित करने में सहायता मिले ।

साइबर अपराध के प्रति जागरूकताः-

1. किसी भी पुलिस या सरकारी एजेंसी द्वारा ऑनलाइन वीडियो कॉल या चैट के माध्यम से "डिजिटल अरेस्ट" नहीं किया जाता। “पैसा दुगुना करने” जैसे निवेश धोखाधड़ी से सतर्क रहने की विस्तृत जानकारी देते हुए जागरूक किया गया ।

2. पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई “ऑनलाइन थाना” या निजी वेबसाइट मान्य नहीं है । शिकायत केवल सरकारी पोर्टल cybercrime.gov.in या निकटतम थाने में ही दर्ज कराएं।

3. किसी भी व्यक्ति को OTP, UPI PIN, बैंक पासवर्ड या कार्ड विवरण कभी न बताएं। साइबर अपराधी अक्सर बैंक अधिकारी या पुलिस बनकर ठगी करते हैं।

4. CBI, NCB, या पुलिस अधिकारी बनकर किसी पार्सल, अपराध या जांच के नाम पर धमकाने वाले सभी कॉल ठगी के प्रयास हैं । शांत रहें और सत्यापन के लिए स्थानीय पुलिस से संपर्क करें।

5. ऑनलाइन नौकरी, इनाम, या गिफ्ट लिंक भेजकर पैसे मांगने वाले ठगों पर विश्वास न करें। 

पुलिस पेंशनर्स के पेंशन विसंगति, पेंशन भुगतान में तकनीकी अड़चने, चिकित्सा-प्रतिपूर्ति व अन्य भुगतान का समयबद्ध निस्तारण किये जाने हेतु सम्बन्धित को दिये गये निर्देश ।  

पुलिस पेंशनर्स की व्यक्तिगत व घरेलू समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ निस्तारण किये जाने हेतु दिये गये निर्देश । 

थाना क्षेत्र में निवासरत पुलिस पेंशनर्स के साथ थानों पर तैनात अधिकारी नियमित रूप से संवाद स्थापित करें, जिससे उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान व आपसी जुड़ाव बना रहे ।

आज दिनांक 01-11-2025 को पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी श्री मोहित अग्रवाल द्वारा यातायात लाइन स्थित सभागार में आयोजित पुलिस पेंशनर्स गोष्ठी में तीन नए आपराधिक कानूनों एवं साइबर अपराधों के संबंध में जागरूक किया गया। गोष्ठी में जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से न्यायिक साक्ष्य और फॉरेंसिक एविडेंस के अनिवार्य उपयोग पर विस्तार से चर्चा की गई। अब तक 35 जीरो एफआईआर दर्ज कर संबंधित जनपदों/प्रदेशों को प्रेषित की गईं तथा 327 ई-एफआईआर दर्ज कर नागरिकों को ऑनलाइन रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान की गई। 

824 पेंशनर्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिला, जबकि 2431 मामलों में फॉरेंसिक एविडेंस संकलित कर जांच को सशक्त बनाया गया। 

साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करते हुए बताया गया कि किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा डिजिटल अरेस्ट नहीं किया जाता और किसी को भी OTP, UPI PIN या बैंक विवरण साझा नहीं करना चाहिए। पुलिस आयुक्त ने पेंशन विसंगतियों, भुगतान, चिकित्सा प्रतिपूर्ति जैसी समस्याओं के त्वरित निस्तारण तथा पेंशनर्स की व्यक्तिगत व घरेलू समस्याओं को संवेदनशीलता से हल करने के निर्देश दिए। साथ ही, थानों पर तैनात अधिकारियों को पेंशनर्स से नियमित संवाद बनाकर उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु निर्देशित किया। 

इस दौरान बैठक में पुलिस पेंशनर्स व उनके पदाधिकारी के साथ-साथ पुलिस उपायुक्त लाइन श्री प्रमोद कुमार, अपर पुलिस उपायुक्त लाइन वैभव बांगर, अपर पुलिस उपायुक्त प्रोटोकॉल जंग बहादुर, सहायक पुलिस आयुक्त ईशान सोनी सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।

सोशल मीडिया सेल

पुलिस आयुक्त,

वाराणसी।

रिपोर्ट- मो. रिजवान.. प्रयागराज
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