प्रो. सुधीर जैन के कार्य -काल की सीबीआई जांच जरूरी, पूर्व कुलपति प्रो जैन द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को निरस्त करने की मांग


प्रो. सुधीर जैन के कार्य -काल की सीबीआई जांच जरूरी, पूर्व कुलपति प्रो जैन द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को निरस्त करने की मांग
वाराणसी से भाष्कर गुहा नियोगी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो सुधीर जैन ने अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय को तानाशाही रवैए से चलाया। विश्वविद्यालय अधिनियम,संविधि यहां तक कि विजिटर राष्ट्रपति के आदेशों को दरकिनार कर मनमानी नियुक्तियां, प्रोन्नतियां नये पदों का सृजन व वित्तीय अनियमितता किया। जो कि गैरकानूनी है। यह बातें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओमशंकर ने बुधवार को प्रेसवार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कुलपति के चले जाने से ही उनके गुनाह खत्म नहीं हो गए। उन्होंने प्रो. सुधीर जैन के कार्यकाल में हुए हर एक भ्रष्टाचार, घोर वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच कर उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग की। साथ ही प्रो जैन के सहयोगी अधिकारियों के विरुद्ध भी सीबीआई जांच की मांग की है।
*घर को आग लगी घर के चिराग से।*
प्रो ओमशंकर ने कहा कि कुलपति चिराग की तरह होते है जिनके निर्णयों से विश्वविद्यालय का भविष्य रौशन होता है लेकिन इसके विपरित प्रो. जैन के निर्णयों ने विश्वविद्यालय में अंधा युग कायम किया जहां एक व्यक्ति ने हर नियम से परे जाकर अपनों को फायदा पहुंचाया जमकर अनियमितता की। उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचारी सुरक्षित रहकर अपने काम को अंजाम देते रहे। उनके कृत्यों ने विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, वैधानिक ढांचे और संवैधानिक गरिमा को गहरा आघात पहुंचाया।
*जमकर हुआ भ्रष्टाचार*
प्रो. ओमशंकर ने कहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संचालन के लिए संसद में 1915 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया। लेकिन प्रो जैन ने अधिनियम को ताक पर धर अपना नियम-कानून लागू किया। एक तरफ कार्यकारिणी परिषद का गठन टाला जाता रहा तो दूसरी तरफ अपने मन से नियुक्तियां, पदोन्नतियां और नये पदों का सृजन किया गया ।जो विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, विधिक संरचना और गरिमा का उल्लघंन है ।
*सीबीआई जांच की मांग की।*
प्रो ओमशंकर ने पूर्व कुलपति प्रो सुधीर जैन के कार्यकाल में हुए कार्यों की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि आगे भविष्य में विश्वविद्यालय अधिनियम और संवंधि से चलाने के लिए ये जरूरी है ,ताकि आगे आने वाले समय में कोई भी कुलपति खुद को विश्वविद्यालय अधिनियम से परे न समझें। साथ ही उन्होंने दो दिन बाद होने वाली कार्यकारिणी परिषद की बैठक में पूर्व कुलपति प्रो सुधीर जैन द्वारा प्रयोग की गई प्रत्येक आपातकालीन शक्ति को अगली कार्यकारिणी परिषद की बैठक में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करने को जरूरी बताया।

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