इलाहाबाद विश्वविद्यालय संगीत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुरेंद्र कुमार जी द्वारा स्वागत उद्बोधन और कार्यक्रम की रूप रेखा की जानकारी दी गई


(महान पखावज वादक पंडित श्रीकांत मिश्रा संगीत समारोह में हिन्दुस्तानी शाश्त्रीय संगीत की तीन बिधाओं ध्रुपद गायन, कर्नाटक गायन और ख्याल गायन के स्वरों से आनंदमय हुआ प्रयागराज) पंडित श्री कांत मिश्रा (टून महाराज) जी की स्मृति में आयोजित संगीत समारोह का आयोजन आर्य कन्या डिग्री कॉलेज मुट्ठीगंज प्रयागराज के सभागार में किया गया। यह कार्यक्रम टोन टू ध्रुपद ट्रस्ट और संस्कार भारती विश्विद्यालय इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था, इस सांगीतिक शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रयागराज के प्रथम नागरिक महापौर श्री गणेश केसरवानी जी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय संगीत विभागाध्यक्ष पंडित प्रेम कुमार मलिक जी भी मौजूद थे, साथ हीं विशिष्ट अतिथि के रूप में कन्या डिग्री कॉलेज के प्रबंधक श्री पंकज जायसवाल जी, प्रयागराज के जानीमानी स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. रेनू बोनाल जी, संस्कार भारती वाराणसी प्रान्त के महामंत्री श्री दीपक शर्मा जी, संस्कार भारती विश्वविद्यालय प्रयागराज के महामंत्री श्री मनीष तिवारी जी के साथ अनेकानेक गणमान्य व्यक्तित्व यहाँ मौजूद रहे | इस संगीत समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा पंडित जी के तस्वीर पर पुष्पार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर नमन किया गया । इसके तपश्चात इस कार्यक्रम के संयोजक इलाहाबाद विश्वविद्यालय संगीत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुरेंद्र कुमार जी द्वारा स्वागत उद्बोधन और कार्यक्रम की रूप रेखा की जानकारी दी गई। इस शुभ अवसर पर सभी मुख्य अतिथियों द्वारा संगीत में पंडित श्रीकांत मिश्राजी के पखावज विधा को समृद्ध करने में उनके योगदान पर अपने-अपने विचार रखे, इस कार्यक्रम में डॉ. सुरेन्द्र कुमार जी द्वारा महापौर जी से कुछ अपने सांगीतिक विचार और प्रस्ताव भी रखे की बनारस के अस्सी घाट पर आयोजित सुबहे-बनारस के तर्ज हमारे प्रयाग संगम तट पर भी हर दिन शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति निरंतर आयोजित होना चाहिए ताकि हमारे प्रयागराज की सांगीतिक प्राचीनतम परम्परा, साख और उसकी कलातमकता हमेशा जिन्दा रहे, जिस प्रस्ताव पर शहर के कला परम्परा सेवी आदरणीय महापौर जी ने इसे सहस्र स्वीकार कर उन्होंने “सूर्योदय-प्रयाग” या “अरुणोदय-प्रयाग” नाम रखने की सम्भावना भी व्यक्त किये, उन्होंने इस विषय पर शहर के तमाम कला चितकों के साथ एक बड़ी बैठक कर इसे अंतिम रूप देनें की भी स्वीकृति प्रदान की, जो प्रयाग शहर के लिए एक बड़ी सांगीतिक उपलब्धि होगी | इस कार्यक्रम के प्रथम प्रस्तुति के रूप में ध्रुपदबंधू (संजीव-मनीष) जी का ध्रुपद गायन से हुआ इन्होंने राग भीमपलासी राग में सूलताल में रचना प्रस्तुत किये जिसके शब्द थे “शंभू हर हर” “भजन- झीनी-झीनी चदरिया आदि प्रस्तुतियों से समां बांधा, इनके साथ पखावज पर पंडित श्रीकांत मिश्रा जी के सुयेग्य शिष्य श्री आदित्य दीप ने संगती किया एवं तानपुरे पर प्रतीक्षा मिश्रा ने सहयोग किया। दूसरी प्रस्तुति के रूप में स्विट्जर्लैंड से पधारी कर्नाटक संगीत की सुविख्यात गायिका विदुषी उमा कुमार जी की कर्नाटक गायन की प्रस्तुति हुई जिन्होंने चार रचनाएँ प्रस्तुत की जिनमें से सर्वप्रथम श्यामा शास्त्रीजी की राग यमन कल्याणी पर आधारित रचना था, दूसरा पी. सुब्रमण्यम की राग धर्मवती की रचना, तीसरा पुरंदर द्वारा जी द्वारा कन्नड़ में राग रेवती की रचना, ये सभी रचनाएँ आदिताल में निब्बध था। इनके साथ मृदंग पर संगत डॉ. सत्यवर प्रसाद तथा वॉयलिन पर पंडित सुखदेव मिश्रा ने संगत किया। तीसरी प्रस्तुति ख़याल गायन की हुई जहाँ इलाहाबाद विश्वविद्यालय संगीत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुरेंद्र कुमार जी गायन प्रस्तुति हुई जिन्होंने राग मारुबिहाग में बड़ा बड़ा ख्याल “शुभ दिन आज” उसके पश्चात छोटा ख्याल में “मन ले गयो रे सावरा” “जागूँ मैं सारी रैना” एवं “आज रे बधावा बाजे” इसके पाश्चात उन्होंने ठुमरी की भी सुन्दर प्रस्तुति दी जिसके शब्द थे “कैसे कटे दिन रैन सजन बिन” अदि से उन्होंने तमाम श्रोताओं का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम का शानदार मंच सञ्चालन आर्य कन्या कॉलेज की संगीत सहायक आचार्य डॉ. रंजना त्रिपाठी जी ने किया साथ ही शहर के अनेकानेक गणमान्य संगीत व्यक्तियों में प्रोफ़ेसर इभा सिरोठिया, डॉ. चित्रा चौरसिया, डॉ. विनोद मिश्रा, सिद्दार्थ मिश्रा आदि भी सभागार में मौजूद थे |
रिपोर्ट- मो. रिजवान प्रयागराज, इलाहाबाद