महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा उपचार सेवा शुरु


महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा उपचार सेवा शुरु
"योग एवं नेचुरोपैथी हमें सिखाती है कि प्रकृति ही सबसे बड़ी वैद्य है, और स्वस्थ रहने का रहस्य उसी की गोद में छिपा है।"
चिकित्सा विज्ञान संकाय, महाराजा डॉक्टर विभूति नारायण सिंह परिसर गंगापुर,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंतर्गत योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग में चल रही ओ पी डी में आज गंगापुर परिसर के आसपास स्थित गांवों से आए हुए 41 मरीजों को प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सुनीता द्वारा परामर्श दिया गया। रोग के अनुसार इन मरीजों को प्राकृतिक चिकित्सा उपचार दिया जाएगा। ।महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, गंगापुर परिसर, वाराणसी में निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा उपचार सेवा प्रदान करने वाला प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय है। इस संबंध में विदित हो कि माननीय कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ , प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी एवं संकायाध्यक्ष, चिकित्सा विज्ञान संकाय, प्रोफेसर पीताम्बर दास के निर्देशन में दिनांक 11 से 13 सितंबर तक विभाग द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता अभियान का संचालन किया गया । इस अभियान का उद्देश्य था कि परिसर के समीप स्थित गांवों में क्षय रोगियों की पहचान करना और ग्रामवासियों को स्वस्थ जीवन शैली के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व से परिचित कराना। यह चिकित्सा,पद्धति शरीर की प्राण शक्ति एवं आंतरिक शारीरिक प्रक्रियाओं में सुधार लाकर खुद को स्वस्थ बनाने की स्वयं की क्षमता पर आधारित है। पंचमहाभूत सिद्धांत, रोगकारक पदार्थ सिद्धांत, प्राण शक्ति सिद्धांत जैसे प्राकृतिक चिकित्सा के अवधारणाएँ, मनुष्य के सभी स्तर पर स्वास्थ्य एवं बीमारी की व्याख्या करती हैं। जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, आहार चिकित्सा इत्यादी प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ बुनियादी उपचार पद्धती हैं।इस हेतु छात्र - छात्राओं की तीन टोलियां बनाई गईं, जिन्होंने गांव में घर-घर जाकर संपर्क किया। यह स्वास्थ्य जागरूकता अभियान डॉक्टर सुनीता के संयोजन एवं डॉक्टर सुनील कुमार यादव के मार्गदर्शन में चलाया गया ।संध्या ओझा ,ने भी योग की बारीकियों से गांव वालो को परिचित कराया । इसमें सभी छात्र-छात्राओं सोनम, मोनिका, सुप्रिया,अंशिका, अंकिता ,आशीष , दीक्षा ,विजय, सीमा, ममता और स्मिता ने सक्रिय रूप से भाग लिया।योग
और नेचरोपैथी का निःशुल्क लाभ लेने के लिए गांव गांव जाकर लोगों को जागृत किया गया । प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) भारतीय एवं पश्चिमी दर्शन पर आधारित दवा रहित चिकित्सा प्रणाली है। प्राकृतिक चिकित्सा, शरीर की प्राण शक्ति एवं आंतरिक शारीरिक प्रक्रियाओं में सुधार लाकर खुद को स्वस्थ बनाने की स्वयं की क्षमता पर आधारित है। पंचमहाभूत सिद्धांत, रोगकारक पदार्थ सिद्धांत, प्राण शक्ति सिद्धांत जैसे प्राकृतिक चिकित्सा के अवधारणाएँ, मनुष्य के सभी स्तर पर स्वास्थ्य एवं बीमारी की व्याख्या करती हैं। जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, आहार चिकित्सा इत्यादी प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ बुनियादी उपचार पद्धती हैं।

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