सनातन धर्म में गौमाता को एक पशु के रूप में नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और मूहि की पोषिका व आधारशिला के रूप में देखा गया


'गौ प्रहरी प्रतियोगिता का होगा आपोजन
सनातन धर्म में गौमाता को एक पशु के रूप में नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और मूहि की पोषिका व आधारशिला के रूप में देखा गया है। इन्हें विश्वमाता कहकर सम्बोधित किया गया है। वैदिक परम्परा से लेकर आधुनिक समय तक गौमाता भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रही हैं। भगवान् श्रीराम और श्रीकृष्ण के के जन्म के मूल में गौमाता ही रही हैं। गौमाता की महिमा केवल धार्मिक ग्रन्थों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनका संरक्षण सम्पूर्ण मानवता और सृष्टि के कल्याण से जुड़ा है।
अगर देखा जय तो भारत की आजादी के आन्दोलन का सूत्रपात गौ माता के संरक्षण और उनके प्रति सम्मान की भावना के कारण हुआ। हम सनातनियों का दुर्भाग्य ही है कि आजादी मिलने के बाद भी किसी सरकार ने सनातनियों की भावना का सम्मान नहीं किया।
आज बहुसंख्यक सनातनियों के देश में उनकी ही गौ माता की हत्या हो रहा है। आज हमारा देश गौ मांस निर्यात में विश्व में दूसरे नम्बर पर पहुँच चुका हैं। आज की आधुनिक शिक्षा व्यवस्था ने भी हमें हमारे धर्म और संस्कृति से हमें दूर कर दिया। हमें गौमाता के महत्व के बारे में केवल उनके आर्थिक लाभ तक पढ़ाया जाता है और उन्हें उपयोगी पालतू पशु ही बताया जाता है। हमारा उद्देश्य गाय को पशु नहीं, माता के रूप में सम्मान मिले: इसे
सुनिश्चित कराना है। इस सनातनी देश में हमारी गौमाता को राष्ट्रमाता का भी सम्मान मिलना चाहिए।
इसी पावन भावना के कारण 'गौ प्रहरी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य गौमाता के प्रति जनमानस में जागरुकता उत्पन्न करना, विशेषकर बच्चों और युवा पीढ़ी को सनातन परम्परा से ओड़ना और उन्हें गौरक्षा के प्रति प्रेरित करना है।
प्रतियोगिता के माध्यम से छात्र-छात्राओं में भारतीय संस्कृति के प्रति एक समझ लाने का प्रयास होगा। यह प्रतियोगिता केवल ज्ञान की परीक्षा ही नहीं, अपितु गौसेवा और सनातन संस्कृति के प्रति एक सजीव आन्दोलन है।
इसमें भाग लेने वाले प्रत्येक प्रतिभागियो को एक पुस्तक भी प्रदान किया जा रहा है, जिसमें गौ माता के आध्यात्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, आर्थिक एवं भौगोलिक महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रतियोगिता इसी पुस्तक पर आधारित होगी। अधिकांश प्रत्र इसी पुस्तक से होंगे।
इस प्रतियोगिता के द्वारा हम अपने परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज के गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन का समर्थन कर रहे हैं। उनके भगीरथ प्रयास में हमारा मात्र यह एक गिलहरी प्रयास ही है।
इस प्रतियोगिता के माध्यम से हम देश के कई राज्यों में गौ माता के लिए लोगों में समझ उत्पन्न करने का प्रयास करेंगे।
इस प्रतियोगिता में कक्षा 3 से लेकर कक्षा 12 तक के छात्र एवं छात्राएँ सम्मिलित होंगे। विद्यालय स्तर, जिला स्तर, प्रदेश और देश स्तर पर प्रतिभागियों को चुनकर पुरस्कृत किया जाएगा। प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को परमपूज्य जगगुरु शंकराचार्य जी महाराज द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।
प्रेसवार्ता को संस्था के अध्यक्ष अभय शंकर तिवारी जी ने सम्बोधित किया।
प्रेसवार्ता में शंकराचार्य जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी श्री परमात्मानन्द जी महाराज ने भी पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर दिया।
गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन से जुड़े अधिवक्ता रमेश उपाध्याय जी, अनिल कुमार जी और सुनील शुक्ला जी ने भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर " गुरुकुलम्" से जुड़े अनिल कुमार जी, मृदुल ओझा जी, विक्रम त्रिवेदी जी, बृजेश सेठ जी, त्रिभुवन जी, अभिषेक सिंह जी, संतोष सिंह जी, सोनूजी और श्रेया जी उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- युवराज जायसवाल. वाराणसी
सनातन धर्म में गौमाता को एक पशु के रूप में नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और मूहि की पोषिका व आधारशिला के रूप में देखा गया

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