वाराणसी के सनबीम सनसिटी स्कूल में, स्कूती बच्चों को करुणा का पाठ पढ़ाने वाली एशिया की पहली एनिमेट्रॉनिक हथिनी एली को प्रदर्शित किया गया
वाराणसी के सनबीम सनसिटी स्कूल में, स्कूती बच्चों को करुणा का पाठ पढ़ाने वाली एशिया की पहली एनिमेट्रॉनिक हथिनी एली को प्रदर्शित किया गया
इस रचिनी को अभिनेत्री दिया मिर्जा ने अपनी आवाज दी है, और इसे PETA इंडिया की ओर से प्रस्तुत किया गया है।
हाथी जब एलीनाम की एकदम असती दिखनेटिकचिनी ने स्कूल का दौरा किया। वाराणसी-गुरुवार को रानभीम रानगिटी स्कूल, वाराणसी के छारों को एक अनोखा अनुभव किया अभिनेत्री दीया मिज़ांकी आवाज में बात करनेवाली एली पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया (PETA इंडिया द्वारा वाराणसी में शुरू किए गए जागरूकता कार्यक्रम की मुख्य आकर्षक हैं। एती ने अपनी आँखें झपकाकर और कान फड़फड़ाकर एक अराली हरकतें कर हजारों स्थानीय छात्रों का मन मोह लिया। एली ने बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार एक कहानी सुनाई कि कैसे उसे बचपन में अपनी माँ से जबरदस्ती अलग कर दिया गया, फिर एक सर्कस में उसे किस तरह दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा, और अंत में कैसे उसे बचाकर एक अभयारण्य में सुखद जीवन मिला।
लॉन्च इवेंट की एली से जुड़ी फ़ोटो और वीडियो यहाँ उपलब्ध है।
सनबीम ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन्सके चेयरपर्सनडों दीपक मधोक ने कहा- "एली का यहाँ आना हमारे छात्रों के लिए एक वास्तव में ज्ञानवर्धक अनुभव रहा। असली हाथी जैसी दिखने वाली पेली एक महत्वपूर्ण संदेश वह लेकर आई, उससे छात्र बेहद प्रभावित हुए। एली और PETA इंडिया के प्रयासों के लिए धन्यवाद। एत्ती के माध्यम से छात्रों ने समझा कि हाथियों की सही जगह जंगल है, बंदी बनाकर नहीं रखा जाना चाहिए। इस पहल ने सभी जीवों के प्रति करुणा और सम्मान जैसे मूल्यों पर सार्थक संवाद की शुरुआत की है।"
1. सनबीम ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन्सकी वाइस चेयरपर्सन श्रीमती भारती मधोक ने कहा-"PETA इंडिया की एली बहुत सुंदरता से यह संदेश देती है कि हाथी बुद्धिमान और भावनात्मक प्राणी होते हैं, जो स्वतंत्रता और सम्मान के हकदार हैं। एली की हमारे स्कूल में उपस्थिति ने हमा छात्रों में सहानुभूति की भावना को विकसित करने में मदद की है और उन्हें पशुओं के प्रा व्यवहार पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया है। हम इस करुणामयी और शैक्षणिक प्रय का समर्थन करके गर्व महसूस कर रहे हैं और हम PETA इंडिया का धन्यवाद करते हैं कि इतनी दूर से एली को हमारे स्कूल लेकर आए"
इस अवसर पर PETA इंडिया की प्राइमरी एजुकेशन मैनेजर, श्रीमती मीनाक्षी नारंग ने क "रोबोटिक हथिनी एली बच्चों को यह समझाने में मदद करती है कि पशु भी इंसानों की तरह डर, खुशी और प्रेम महसूस करते हैंऔर वे भी शांति से जीने के हकदार हैं। PETA इं परिवारों को ऐसे क्रियाकलापों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिनमें हाथियों या संवेदनशील जीवों का शोषण न हो। जब हम पशुओं की भावनाओं को समझते और सम्मान करते हैं, तो हम सभी जीवों के लिए एक अधिक सहानुभूतिपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनि ओर कदम बढ़ाते हैं।"
मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बंदी हाथियों को अक्सर उनके परिवारों और प्रा आवासों से अलग कर दिया जाता है। उन्हें जंजीरों में कैद रहकार कठोर प्रशिक्षण प्रक्रिय गुज़ारना पड़ता है और उन्हें अंकुश जैसे औज़ारों से नियंत्रित किया जाता है जो कि भारी क हैं, जिनके सिरों पर नुकीली लोहे की कीलें लगी होती हैं, जिससे हाथियों को डर और दर्द का सामना करना पड़ता है।
और अक्सर उन्हें पर्याप्त भोजन, पानी और पशु चिकित्सा देखभाल से भी वंचित रखा जाता है। लंबे समय तक केट में रहने के कारण कई हाथियों में असामान्य व्यवहार देखने को मिलता है.
मई 2023 से अब तक, एली पूरे भारत के विभिन्न प्राइवेट इंटरनेशनल और सरकारी स्कूलों में 2,20,000 से अधिक बच्चों तक पहुंच चुकी है। वह यह संदेश पहुंचा रही है कि हाथियों का उपयोग सर्कस सवारी या किसी भी प्रकार के क्रूर आयोजनों में नहीं किया जाना चाहिए। अब एली वाराणसी के सनबीम भगवानपुर, इंदिरानगर, क्रिमसन वर्ल्ड स्कूल, आर्यन इंटरनेशनल स्कूल, सनबीम लहरतारा लिटिल मिलेनियम सनबीम वरुणा और सनबीम सारनाथ के हजारों छात्रों से मिलने जा रही है।
PETA इंडिया एक निशुल्क मानवीय शिक्षा कार्यक्रम भी चलाता है Compassionate Citizen जिसे 8 से 12 18 से 12 वर्ष की आयु के स्कूली छात्रों को पशुओं को बेहतर समझने और उनके प्रति सहानुभूति विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम अब तक 2 लाख से अधिक स्कूलों में इस्तेमाल किया जा चुका है और पूरे भारत में लगभग 9.3 करोड़ बच्चों तक पहुँच चुका है।
PETA इंडियाजो कि इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि पशु हमारे मनोरंजन के लिए नहीं हैं", प्रजातिवाद (speciesism) का विरोध करता है, जो माग्व की खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने और अपनी आवश्यक्तानुसार अन्य प्रजातियों का शोषण करने वाली सोच है।
रिपोर्ट- युवराज जायसवाल.. वाराणसी
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