•   Tuesday, 22 Apr, 2025
Like Varanasi Gyanvapi Dharahara Masjid is also associated with the story of Aurangzeb which was onc

Like Varanasi Gyanvapi Dharahara Masjid is also associated with the story of Aurangzeb which was once here too Bindu Madhav Temple

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  Varanasi ki aawaz

वाराणसी: ज्ञानवापी की तरह 'धरहरा मस्जिद' से भी जुड़ा है औरंगजेब का किस्सा, कभी यहां भी था बिंदु माधव मंदिर 

 

धरोहर:अनुराग पाण्डेय की विशेष रिपोर्ट 

 

वाराणसी: काशी में ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है. वाराणसी जिला अदालत में अब इस मामले की सुनवाई हो रही है. इस बीच, इतिहासकारों का दावा है कि काशी में एक और मस्जिद है जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने प्राचीन विख्यात बिंदु माधव मंदिर को तोड़कर बनवाया था. जानिए पूरी कहानी... काशी में औरंगजेब ने तामीर करवाई थी विशाल धरहरा मस्जिद. काशी में औरंगजेब ने तामीर करवाई थी विशाल धरहरा मस्जिद. ०मस्जिद की मीनारों से कुतुब ०मीनार दिखती थी ०100 साल पहले गिरा दी गईं धरहरा की मीनारें ०बिंदु माधव मंदिर की जगह बनी है धरहरा मस्जिद ० राष्ट्रीय स्मारक होने के बाद भी नही फहराया जाता राष्ट्रीय ध्वज वाराणसी के काशी विश्वनाथ ०जबकि एक समुदाय को नमाज पढ़ने की इजाजत है लेकिन अन्य वर्ग को पूजा करने व राष्ट्रीय ध्वज फहराने की इजाजत नही है मंदिर को तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवाने के आरोप मुगल बादशाह औरंगजेब पर लगाए जाते हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो औरंगजेब ने वाराणसी में न केवल काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा था, बल्कि अन्य दो बड़े मंदिर समेत अन्य कई सनातन आस्था के केंद्रों को भी गिराया था और वहां मस्जिद तामीर करवाई थी. काशी विश्वनाथ के बाद अगर किसी दूसरे बड़े मंदिर को औरंगजेब ने निशाना बनाया, तो वह था- पंचगंगा घाट स्थित 'बिंदु माधव का मंदिर'. अब यह मंदिर 'धरहरा मस्जिद' के नाम से जाना जाता है. काशी में बनी इस मस्जिद की दो मीनारों को लेकर यह दावा भी किया जाता है कि उन पर चढ़कर दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई पड़ती थी. हालांकि, अब से 100 साल पहले कमजोर होने के कारण इन मीनारों को गिरा दिया गया था. आज दूसरी जगह होती है बिंदु माधव की पूजा विशाल धरहरा मस्जिद की तामीर औरंगजेब ने सन 1669 के आसपास बिंदु माधव का प्राचीन मंदिर तोड़कर बड़े चबूतरे पर करवाई थी, जिसके बाद औंध नरेश ने मंदिर से बिंदु माधव की मूर्ति को बगल में एक अन्य जगह स्थानांतरित करा दिया था, जहां पर अभी भी बिंदु माधव की पूजा होती है. औरंगजेब ने काशी को बेहद नुकसान पहुंचाया Aajtak को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे ने बताया कि औरंगजेब ने काशी को काफी नुकसान पहुंचाया था. उसने यहां के कृतिवाशेश्वर, बिंदु माधव और विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर पूरी तरह से मस्जिद में तब्दील कर दिया. इसके अलावा ओंकारेश्वर और लाटभैरव मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया. साथ ही ओंकारेश्वर मंदिर के आसपास भी कई मंदिर को नुकसान पहुंचाकर पूरी तरह लुप्त कर दिया. शिलालेख पर भी लिखा हुआ था प्रो. जनार्दन रटाटे ने आगे बताया कि धरहरा मस्जिद के घाट वाले हिस्से में जाने पर मंदिर के अवशेष दिखाई पड़ेंगे. यहां कभी एक शिलालेख हुआ करता था, जिस पर लिखा हुआ था कि मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण करवाया. वह शिलालेख अब दिखाई नहीं पड़ता है. काशी में पंचगंगा घाट पर धरहरा मस्जिद. बहुत विशाल मंदिर था धरहरा मस्जिद के नीचे तहखाने की जांच की जाए तो वहां भी बहुत सारे अवशेष (शिवलिंग और विष्णु की मूर्तियां) मिलेंगी. पहले यहां बिंदु माधव यानी विष्णु के रूप की पूजा होती थी और बहुत विशाल मंदिर था. उन्होंने बताया कि लगभग 1680 के आसपास पंचगंगा घाट स्थित बिंदु माधव का मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी गई. इस मंदिर के प्राचीन रूप का जिक्र कुबेर नाथ शुक्ल ने अपनी किताब में भी किया है. फिर मंदिर को औंध नरेश ने बगल में ही एक अन्य जगह स्थापित किया था. 100 साल पहले गिरा दी गईं मीनारें उन्होंने आगे बताया कि यह बनारस की सबसे ऊंची इमारत थी, क्योंकि इसमें दो सबसे ऊंची मीनारें थीं. लेकिन कमजोर हो जाने के चलते लगभग 100 साल पहले उसे गिरा दिया गया था, लेकिन उसकी तस्वीरें आज भी देखी जा सकती हैं. ऐसा कहा जाता है कि उन ऊंची मीनारों से दिल्ली तक दिखाई पड़ती थी. धरहरा मस्जिद की इन मीनारों को गिरा दिया गया था. मंदिर तोड़ने के पीछे की वजह प्रो. रटाटे के अनुसार, औरंगजेब के द्वारा उठाए गए इस कदम के पीछे की अलग-अलग बातें सुनने को मिलती हैं. जिसमें उस समय दाराशिकोह ने संस्कृत भाषा को फारसी में अनुवाद करवाया और वह संस्कृत भाषा का प्रेमी भी था. उस क्रोध में औरंगजेब ने मंदिरों को तुड़वाया और दाराशिकोह को औरंगजेब ने दंडित भी किया. कुछ लोग ऐसा भी कहते है कि जब औरंगजेब की जेल से शिवाजी सुरक्षित निकलकर काशी आए और काशी से भी सुरक्षित चले गए, तो उस क्रोध के कारण भी औरंगजेब ने काशी के मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया. मत्स्य पुराण में भी मंदिर का जिक्र वहीं, बनारस हिंदू विवि में इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद जायसवाल ने बताया, जहां बिंदु माधव का मंदिर है उसे विष्णु क्षेत्र कहा जाता है और जिस घाट पर यह है उसे पंचनद तीर्थ कहा जाता है. इसी बिंदु माधव के मंदिर जिसे 1580 में रघुनाथ टंडन ने बनवाया था, औरंगजेब ने 1669 में तोड़कर आलमगीर मस्जिद तामीर करवाई. बिंदु माधव मंदिर का जिक्र मत्स्य पुराण में भी मिलता है. बिंदु माधव मंदिर की कहानी बकौल प्रो जायसवाल, ''माना जाता है कि विष्णु भगवान जब काशी आए थे तो सबसे पहले वे आदी केशव जगह पर गए थे. उसी दौरान पंचनद तीर्थ स्थल पर विष्णु की ही तपस्या कर रहे अग्नि बिंदु तपस्वी ने वर मांगा कि भगवान उनकी तपस्या स्थान पर ही निवास करें और आने वाले समय में उनके नाम से ही भक्तों का कल्याण करें. तभी से बिंदु माधव नाम से यह तीर्थ जाना जाने लगा. इस कथा का उल्लेख काशी खंड में भी है. वर्तमान में जो बिंदु माधव का मंदिर है, उसे 17वीं शताब्दी में आमेर के राजा मानसिंह ने बनवाया था.'' आमेर के राजा मानसिंह का बनवाया काशी में बिंदु माधव मंदिर इस मस्जिद में भी फव्वारा वहीं पेशे से वकील इंद्र प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि धरहरा मस्जिद के बगल में ही बिंदु माधव का हम मंदिर बचपन से देखते चले आ रहे हैं मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद बनवाई गई है लेकिन इस मस्जिद के बीच में भी फव्वारा लगा है जिसे शिवलिंग नहीं कहा जा सकता है नीचे हिंदू धर्म के अवशेष उन्होंने बताया कि इस मस्जिद से संबंधित उर्दू में लिखी पत्रावलियों को भी एकत्रित करके अध्ययन किया जा रहा है उर्दू से हिंदी में अनुवादित करने के बाद ही धरहरा मस्जिद पर दावा किया सकता है मस्जिद में खासकर जमीन के नीचे हिंदू धर्म के अवशेष मिलेंगे

रिपोर्ट-अनुराग पाण्डेय. मंडुआडीह
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