वाराणसी 37 वां नेत्रदान पखवाड़ा दिवस के अन्तर्गत पूर्णोदय महिला महाविद्यालय बच्छांव वाराणसी के सभागार में एक दिवसीय नेत्रदान गोष्ठी का आयोजन सामाजिक सांस्कृतिक मंचन द्वारा किया गया
भ्रांतियां है नेत्रदान की सबसे बड़ी बाधा
वाराणसी 37 वां नेत्रदान पखवाड़ा दिवस के अन्तर्गत पूर्णोदय महिला महाविद्यालय बच्छांव वाराणसी के सभागार में एक दिवसीय नेत्रदान गोष्ठी का आयोजन सामाजिक सांस्कृतिक मंचन द्वारा किया गया
इस सुअवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री श्री नीलकण्ठ तिवारी, विधायक, शहर दक्षिणी, वाराणसी ने अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विचारों को रखते हुए कहा कि नेत्रदान महादान है लेकिन नेत्रदान के प्रति तमाम तरह की भ्रांतियां हमारे समाज में फैली हुई है इसे दूर करना बेहद जरुरी है, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र, स्वस्थ्य भारत बनाने की भी आवश्यकता है इस महादान को बेटिया ही आगे बढ़ा सकती है' आगे उन्होने कहा कि ' अब बेटिया हवाई जहाज, रेल, रक्षा एवं खेल जगत में अग्रणी होती जा रही है इसलिए आवश्यकता है कि नेत्रदान जैसी भ्रांतियां को दूर करने में बेटियां विशेष सहयोग कर सकती है |
इससे पूर्व पखवाड़ा के विशेष वक्ता नेत्र विशेषज्ञ डा. अनुराग टण्डन ने कहा कि ' मृत शरीर के एकमात्र अंग आंख है जो मृत शरीर में छ: घंटे तक जीवित रहता है, अगर समय रहते परिजन नेत्रदान करायें तो इससे दूसरे की जीवन में उजाला लाया जा सकता है लेकिन हमारे समाज में अंधविश्वास का परिणाम है कि लोगों के अंदर भ्रांतियां इस कदर हावी है कि नेत्रदान करने से अगले जन्म में हम नेत्रहीन होंगे ऐसे भ्रामक विचारधारा के चलते देश में रोशनी खोने वालों की संख्या बढ़ती ही जारही है', आगे उन्होने कहा कि ' नेत्रदान करने वाला कर देता है लेकिन जीवित व्यक्ति जीतेजी नेत्रदान नहीं करता इसलिए उनके परिजनों की ये जिम्मेदारी बनती है लेकिन शोक में लोग अक्सर भूल जाते है आगे डा. टण्टन ने कहा कि ' आज आवश्यकता है कि नेत्रदान खुद करने की घोषणा के बजाये वो अपने चीर परिचित, दोस्त, रिश्तेदारों को नेत्रदान के प्रति जागृत करें |
इसके पश्चात नेत्र विशेषज्ञ एवं कार्यक्रम संयोजक डा. अनिल तिवारी जी ने कहा कि समाज को नेत्रदान करने के प्रति सभी को जागरूक होना आवश्यक है नेत्रदान की भ्रांतियां को दूर करते हुए ये बताना होगा कि नेत्रदान से सिर्फ एक की जीवन में उजाला नहीं होता बल्कि उस व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद भी उसकी आंखों से हम दूसरे के जीवन को प्रकाशमय बना सकते है आंख नाजूक होते हुए भी हमारे शरीर का बेहद संवेदनशील अंग है किसी के जीवन को सकारात्मक करने के लिए नेत्रदान जैसा महापुण्य काम करना चाहिए |
इससे पूर्व कार्यक्रम के सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ प्रदान करते हुए किया गया |
कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्यअतिथि डा. नीलकण्ठ तिवारी (विधायक, शहर दक्षिणी,वाराणसी) नेत्र विशेषज्ञ डा. टण्डन एवं डा. अनिल तिवारी जी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित द्वारा किया गया | इस मौके पर नेत्रदान विषयक पर महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा विविध नुक्कड़ नाटक एवं लघु नाटिका प्रस्तुत किया गया|
कार्यक्रम का स्वागत भाषण डा नरेंद्र देव , धन्यवाद भाषण श्रीमती साधना श्रीवास्तव प्राचार्या (पू्. म. महाविद्यालय) एवं संचालन डा. अंजना सिंह ने किया इस मौके पर महाविद्यालय के सैकड़ों छात्राएं एवं सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे।