आखिर किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट
आखिर किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट
आगरा। जिला पूर्ति विभाग ने सरकारी राशन की कालाबाजारी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए सुमित और मनीष अग्रवाल के अवैध सिंडीकेट का भंडाफोड़ किया है। जिला पूर्ति अधिकारी संजीव सिंह के नेतृत्व में हुई इस छापेमारी में करीब 600 कट्टे सरकारी चावल बरामद किए गए, जिन्हें कैंटर में भरकर हरियाणा भेजा जा रहा था।प्राप्त जानकारी के अनुसार, अछनेरा थाना क्षेत्र के रायभा में चल रहे इस अवैध धंधे का पर्दाफाश तब हुआ, जब प्रशासन को चावल की कालाबाजारी की गुप्त सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने चावल बरामद कर लिया। इस घटना के बाद से कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकारी चावल राशन माफिया तक कैसे पहुंचा।इस कार्रवाई के बाद सुमित और मनीष अग्रवाल फरार हो गए हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है।
आखिर किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट?
सूत्रों के अनुसार, चावल का यह अवैध सिंडिकेट लंबे समय से संचालित हो रहा था। इस धंधे की सूचना अंदर ही अंदर फैल रही थी, लेकिन इस पर खुलकर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। अगर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होती है, तो कई प्रभावशाली नाम सामने आ सकते हैं, जिनमें तहसील प्रशासन और पुलिस प्रशासन से जुड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों का दावा है कि यह सिंडिकेट केवल रायभा तक सीमित नहीं है, बल्कि देहात के प्रत्येक गांव में इसका जाल फैला हुआ है। यहां माफिया अपने गुर्गों के जरिए सरकारी चावल को सस्ते दामों में खरीदकर, बाहर के राज्यों में ऊंची कीमत पर बेचते हैं। इसके अलावा, तहसील क्षेत्र के एक व्यक्ति का नाम भी सामने आया है, जो खुद को प्रतिष्ठित समाचार पत्र का संवाददाता बताकर इस अवैध धंधे में अपनी पहुंच का फायदा उठा रहा था
हालांकि, जिला पूर्ति विभाग की इस बड़ी कार्रवाई ने चावल माफिया के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अब इस प्रकरण की पूरी जांच की जा रही है, और माफिया अपनी जुगाड़ें फिट करने में लगे हुए हैं, लेकिन प्रशासन के सख्त रुख ने उनके इरादों पर सवाल खड़ा कर दिया है।
रिपोर्ट- आरिफ खान बाबा, मंडल संवाददाता आगरा