आगरा विकास प्राधिकरण ने गरीबों का तोड़ा सपना गरीब नहीं खरीद सकेंगे एडीए से मकान
आगरा विकास प्राधिकरण ने गरीबों का तोड़ा सपना गरीब नहीं खरीद सकेंगे एडीए से मकान
आगरा। जमीदारी विनाश के बाद सन 1973 में आगरा विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य, शहर और ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों और मध्यम वर्गों, उच्च वर्ग के लिए किसानों से भू अर्जित कर भवन प्लॉट आदि को किस्तों पर उपलब्ध कराकर गरीबों के सर पर छत देकर उनके चेहरे पर खुशी लाना था। आगरा विकास प्राधिकरण ने दुर्बल वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस भवन मध्यवर्ग के लिए एलआईजी भवन ,उच्च वर्ग के लिए एमआईजी और एचआईजी भवनो का निर्माण कर कई कालोनियां शहर में विकसित की। दुर्बल वर्ग के पात्रों के लिए जिनकी वार्षिक आय ₹300000 और मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के पात्रों की वार्षिक आय 6 लाख से अधिक निर्धारित की। अभी तक को भवन की अनुमानित कीमत का 10% जमा करा कर लोटिया अन्य माध्यम से आवेदक को मकान आवंटित कर दिया जाता था उसके बाद अभी तक को उक्त मकान का कब्जा लेने के लिए 15% जमा करना होता है। आगरा विकास प्राधिकरण के निर्माण अनुसार 12% फ्री हॉल भवन पर ना लेकर केवल प्लांट पर ही लिया जाता है। अवंटी को भवन की अनुमानित राशि की 10% राशि जमा करने पर आवंटन पत्र विभाग द्वारा दाग के जरिए सूचित किया जाता है और 15 दिन के अंदर 15 परसेंट जमा कर कब्जा लेने के लिए कहा जाता है अवंटी कब्ज शुल्क जमा कर उक्त भवन में रहना शुरू कर देता है और भवन में रहते हुए निर्धारित किस्त मासिक रूप से विभाग को जमा करता है 15 साल के अंतराल में भवन की अनुमानित राशि पूर्ण होने पर अवंती को आगरा विकास प्राधिकरण रजिस्ट्री कर पूर्ण स्वामित्व का अधिकार दे देती है लेकिन अब ऐसा नहीं है आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने बताया की शान से आदेश है अब अवंती को कब्जा कभी दिया जाएगा जब वह अनुमानित रस पूर्ण जमा करेगा। जब हमारे संवाददाता ने आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष महोदय से पूछा की दुर्बल वर्ग के लोग जिनकी वार्षिक आय तीन लाख से अधिक नहीं है रेडी रिक्शा चला कर अपना जीवन यापन करते हैं वह लोग ईडब्ल्यूएस भवन को लेने की श्रेणी में आते हैं शान द्वारा उन्हें सर छुपाने के लिए ईडब्ल्यूएस मकान महिया करने का प्रावधान है और वह किस्तों पर बकाया धनराशि मासिक रूप से जमा करते रहेंगे इस पर उपाध्यक्ष महोदय ने बताया कि यह अब संभव नहीं है इस पर शासनादेश लागू है सभी वर्गों को भवन का पूर्ण अनुमानित राशि जमा करनी होगी तभी कब्जा दिया जाएगा जब हमारे संवाददाता ने शासनादेश की कॉपी के लिए कहा उपाध्यक्ष महोदय ने शासनादेश की कॉपी माहिया करने से इनकार कर दिया। इस शासनादेश के आने पर गरीब दुर्बल वर्ग के लोगों के चेहरे पर मुस्कान गायब हो गई दुर्बल वर्ग के लोगों का आगरा विकास प्राधिकरण पर विश्वास था क्यों उन्हें सर छुपाने को छत मिल ही जाएगी लेकिन उनका यह सपना टूट गया।
समय-समय पर शान द्वारा (ओटीएस)वन टाइम सेटलमेंट योजना द्वारा लोगों को काफी राहत मिलती थी जिसमें लगभग 5% छठ का प्रावधान है। शासनादेश संख्या 8/2020/ 278 दिनांक 7/2 /2020 वन टाइम सेटलमेंट योजना के संचालन संबंधी दिशा निर्देश निर्गत किए गए थे। कोविद-19 महामारी के 10 गत शासनादेश संख्या 703 बटे आठ दिनांक 6 6 2020 द्वारा मुक्ति योजना के अंतर्गत आवेदन की तिथि दिनांक 30 9 2020 तक बढ़ाई गई थी जब से अभी तक वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू नहीं की गई जिससे लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
आगरा विकास प्राधिकरण के उद्देश्य
प्रदेश में जमींदारी समाप्ति के बाद खातों के बाहर की भूमि /वस्तुएं उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 117 की उप धारा (१) की अधीन ग्राम सभाओं /स्थानीय प्राधिकारियों में नियत कर दी गई थी। गांव सभा/ स्थानीय प्राधिकारियों में निहित संपत्तियां वस्तुतः उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के अधीन राज सरकार में निहित संपत्तियां थी जिन्हें मात्र प्रबंधन के लिए गांव सभाओं स्थनीय प्राधिकारियों में नियुक्त किया गया था उत्तर प्रदेश राज्स्व संहिता 2006 उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 8 सन 2012 द्वारा उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 का निरस्त कर दिया गया है। उसके बाद भूमि अर्जन कर सरकार द्वारा पुनर्वासन और पूनवयरस्थापना करना है।
भू स्वामियों एवं अर्जुन निकायों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर क्रय से संबंधित नियमों आदेशों के अनुसार भूमि सीधे स्वामियों से क्रय की जाए। भारत सरकार द्वारा भू अर्जन अधिनियम 1894 को निरस्त करते हुए भूमि अर्जुन पुनर्वासन ओपनर विस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिका का अधिकार अधिनियम 2013 (अधिनियम संख्या 30 सन 2013) प्रख्यापित किया गया है। जो 11 2014 से प्रभावित है इस अधिनियम की धारा 40 में निर्दिष्ट व्यक्तियों से भिन्न व्यक्तियों की दशा में सीधे भूमि करने पर उक्त अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उल्लेखित पुनर्वासन संबंधी लाभ दिए जाने एवं क्रय की कार्रवाई कलेक्टर के माध्यम से करने की व्यवस्था है।
प्रदेश के विकास प्राधिकरणो विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों तथा उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के गठन के उद्देश्य भूमिर्जन अधिनियम के अधीन भूमि अधिग्रहण संबंधी प्रक्रिया का अनुपालन कर भू अर्जन किया जाना जाता रहा है भूमि अर्जन पुनर्वासन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिनियम 2013 के प्रर्वतत होने के पश्चात भूमि अर्जन की प्रक्रिया का प्रावधान है। प्रदेश के राजकीय विभागों स्वायत्तशासी निकायों विकास प्राधिकरणों औद्योगिक प्राधिकरण विभिन्न विभागों के प्रशासनिक नियंत्रण में गठित परिषदों एवं प्रदेश में कार्यानिवित्त होने वाली पब्लिक प्राइवेट भागीदारी परियोजनाओं आदि के लिए भू स्वामियों से सीधे क्रय किए जाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। उत्तर प्रदेश राज शहरी आवास एवं पर्यावरण नीति 2014 के अंतर्गत भूमि एवं प्रबंधन हेतु किसानों में सीधी भूमि क्रय के व्यवस्था की अभिकल्पना भी की गई है।
पिछले वर्षों से आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा किसानों द्वारा भू अर्जन कर आगरा शहर में तमाम कालोनियां विकसित की गई।
पिछले दिनों आगरा विकास प्राधिकरण की कॉलोनी के भवन ईडब्ल्यूएस जो की दुर्बल वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित थे नाम अनुसार भवन की अनुमानित राशि का 10% जमा कराकरआवंटित किए गए।अवंतियों ने आवंटित राशि के अतिरिक्त कब्ज राशि 15 परसेंट जमा करने के बाद जब वह गरीब कब्जा लेने विकास प्राधिकरण के ऑफिस में गए तो उनसे कहा गया कि अब उन्हें कब्जा तब ही मिलेगा जब वह अनुमानित राशि का पूर्ण भुगतान करेगे । उन दुर्बल वर्ग के गरीबों के पास पूर्ण भुगतान करने के लिए पैसे नहीं है। गरीबों के खिले हुए चेहरे मुरझा गए तमाम दुर्बल वर्ग के गरीब आए दिन आवास विकास प्राधिकरण आगरा के कार्यालय में कब्जा लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं। उन्हें अपने सर की छत छिनती नजर आ रही है ।