बाराबंकी रामसनेहीघाट मन में कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है
बाराबंकी रामसनेहीघाट मन में कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है
कुछ ऐसा ही कर दिखा रहा है उच्च प्राथमिक विद्यालय रामसनेहीघाट, जिसने स्कूल की तस्वीर ही बदल दी गई है, यह विद्यालय शिक्षण, संस्कार, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए कार्य दूसरे स्कूलों के लिए नजीर बन चुका है।
बनीकोडर विकास खंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय रामसनेही घाट विद्यालय का अनुशासन और रख रखाव कॉन्वेंट स्कूल को पीछे छोड़ चुका है। विद्यालय से बच्चे के लगातार दो दिन गायब रहने पर उसके माता-पिता से संपर्क करना व विद्यालय न आने का कारण जानना विद्यालय के अध्यापको की प्राथमिकता है है इतना ही नही कमजोर बच्चों को अतिरिक्त कक्षाएं संचालित करके पढ़ाना।
यह इस स्कूल की दिनचर्या में शामिल है। इसके बाद निजी सहयोग और अपने वेतन से खर्च करके कई कार्य विद्यालय के अधयापक डॉ.नरेंद्र प्रकाश मिश्र व उनकी टीम द्वारा कराए गए। पूरे विद्यालय परिसर में इंटरलॉकिंग कराई गई, प्रोजेक्टर, लैब और स्वच्छ पेयजल के लिए सबमर्सिबल की व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा की दृष्टि से विद्यालय की चहारदीवारी का निर्माण, गेट में प्रवेश करते ही महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर लिखाए गए हैं। इसके अलावा कई अन्य कार्य भी विद्यालय में कराए जो अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणा बने हुए है।
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रामसनेहीघाट। विद्यालय में बच्चो से पढ़ाई में अच्छे और कमजोर बच्चों को विभाजित कर अतिरिक्त कक्षा लगाने के प्रयास में लगे है विद्यालय के जिम्मेदार जिसका फल है कि जिला, मंडल स्तर पर गत पांच वर्षों से सर्वाधिक नामांकन का बच्चों को पुरस्कार मिल चुका है। और लगातार यहां के बच्चे बढ़ाई व पीटी, उत्सव में अव्वल आ रहे हैं। यही नहीं बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही संस्कार भी सिखाया जाता है। विद्यालय में क्यारियां बनाकर पर्यावरण का संदेश दिया जा रहा है। मौसम के अनुरूप इसमें पौधे लगाए जाते हैं। सफाई के लिए अपने वेतन से निजी व्यक्तिगत तैनात किया है। समय-समय पर क्यारी में नए पौधे लगाए जाते हैं। टीवी संग वाईफाई की भी सुविधा कांवेस्ट स्कूल की तर्ज पर बच्चों को वेहतर शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने के लिए केबल कंप्यूटर लैब ही नहीं है बल्कि स्मार्ट टीवी और वाईफाई जैसी सुविधाएं भी हैं। स्कूल में प्रोजेक्टर भी लगवाया है जिसकी मदद से बच्चे तमाम प्रोजेक्ट को आसानी से समझते हैं। स्कूल में हर तरफ फैली हरियाली, महापुरुषों के संदेश व उनके फोटो के साथ ही साफ सुथरा भवन सभी को आकर्षित करता है।