•   Monday, 25 Nov, 2024
Struggle to make lotus bloom in JMMs stronghold Santhal

झामुमाे के गढ़ संथाल में कमल खिलाने की जद्दाेजहद

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  Varanasi ki aawaz

झामुमाे के गढ़ संथाल में कमल खिलाने की जद्दाेजहद


रांची:- झारखंड विधानसभा चुनाव अब संथाल और कोयालांचल में शिफ्ट हाे गया है। चुनाव के दूसरे चरण में 20 नवंबर को संथाल परगना की सभी 18 सीटों पर मतदान होगा। संथाल परगना प्रमंडल हमेशा से झारखंड की राजनीति में अहम भूमिका निभाता रहा है। वर्तमान सरकार में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और कई मंत्री संथाल परगना प्रमंडल से ही आते हैं। इसी वजह से सभी पार्टियां प्रत्येक चुनाव में संथाल परगना प्रमंडल पर खास ध्यान देती हैं। इस बार भी भाजपा, झामुमो और कांग्रेस का संथाल परगना प्रमंडल पर विशेष जोर है।
संथाल परगना की अधिक से अधिक सीटें जीतने की मंशा से रांची से लेकर दिल्ली तथा कई दूसरे राज्यों के बड़े नेता इन क्षेत्रों में व्यापक चुनावी अभियान पर हैं। इस बार भाजपा 2019 के परिणाम से सबक लेते हुए उन जगहों पर विशेष फोकस कर रही है, जहां 2019 के चुनाव में उसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।
उन्हीं में से एक संथाल प्रमंडल है, इसमें कुल 18 विधानसभा सीटें हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में संथाल प्रमंडल की 18 सीटों में भाजपा सिर्फ चार सीट ही जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन इस चुनाव में भाजपा ये नंबर बढ़ाना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस इलाके में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा सरमा और मिथुन चक्रवर्ती, हेमा मालिनी जैसे स्टार कैंपेनर ने चुनावी सभा की।
ये प्रमंडल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से झारखंड के मुख्यमंत्री और कई अन्य मंत्री चुनकर विधानसभा पहुंचे। संथाल को झामुमो का गढ़ माना जाता है। यहां 18 में से 8 सीटें रिजर्व कैटेगरी में आती हैं। इसमें 7 सीट अनुसूचित जनजाति और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। जबकि यहां 10 सामान्य सीटें हैं।
आदिवासी मतदाताों में झामुमो की अच्छी पकड़ होने के कारण पार्टी को इस इलाके में बढ़त मिलती रही है। भाजपा झामुमो की इस गढ़ को ढहाना चाहती है, जिसके लिए भाजपा लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ और रोटी बेटी माटी का मुद्दा उठा रही है। भाजपा वोटरों तक ये मैसेज देना चाहती है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह के आदिवासी अस्मिता को खतरा है। भाजपा का कहना है कि संथाल इलाके में ही सबसे ज्यादा घुसपैठ हो रही है। प्रधानमंत्री भी अपने भाषणों में इसका जिक्र कर चुके हैं।
एनडीए की बात करें तो संथाल में भाजपा गठबंधन ने 2009 में जहां सिर्फ दो सीटें जीती थीं। वहीं, 2014 में सात सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि 2019 में यहां एनडीए को सिर्फ चार सीटें मिलीं। एक बार फिर से भाजपा चाहती है कि संथाल में उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिले ताकि सत्ता की चाबी उनके हाथ लग सके। इसके लिए पार्टी ने मजबूत प्रत्याशियों को उतारा

रिपोर्ट- डा. कमल कश्यप रांची झारखंड, बिहार
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