•   Monday, 07 Apr, 2025
Women of Chitrakoot Self Help Group step towards self reliance with the promotion of traditional her

चित्रकूट स्व सहायता समूह की महिलाओं ने पारंपरिक जड़ी बूटियों के संवर्धन के साथ स्वावलंबन की ओर बढ़ाया कदम

Generic placeholder image
  Varanasi ki aawaz

चित्रकूट स्व सहायता समूह की महिलाओं ने पारंपरिक जड़ी बूटियों के संवर्धन के साथ स्वावलंबन की ओर बढ़ाया कदम

31 ट्राइवल महिलाओं को "जन्म-घुट्टी, काजल और लाटा" तैयार करने आरोग्यधाम में किया गया प्रशिक्षित

चित्रकूट/ पारंपरिक जड़ी बूटियों की यौगिक सूत्रीकरण के लिए "जन्म-घुट्टी, काजल और लाटा" का स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उपरोक्त प्रौद्योगिकी का प्रसार विनिर्माण अभ्यास, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लेबलिंग, भंडारण और विपणन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का समापन शुक्रवार को आरोग्यधाम सभागार में किया गया।

लाटा, जन्म-घुट्टी और काजल बनाने की स्टैंडर्ड विधि का कार्य दीनदयाल शोध संस्थान आरोग्यधाम के द्वारा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। चित्रकूट के आसपास के क्षेत्रों में जो ट्राइवल निवास करते हैं, उनके रोजगार हेतु यह प्रौद्योगिकी वरदान सिद्ध होगी। यह भारत सरकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभाग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अंतर्गत किया गया है।

उपरोक्त प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को लेबलिंग करने की प्रैक्टिकल जानकारी श्री प्रवीण कुमार डारेक्टर कृतिका हर्बल्स के द्वारा दी गयी। इसके साथ ही उनका जोर विपणन के बारे में था। उन्होंने कहा कि हमारे उत्पाद बनाने की सफलता तभी है जब यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुॅचे और आम जनता को इसका लाभ मिले। 

प्रशिक्षण में दो स्वसहायता समूहों के 31 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षणार्थियों ने अपने अनुभव कथन में बताया कि इस कार्य को हम अपने स्व सहायता समूह के माध्यम से आगे बढायेंगे और इससे होने वाली आय का लाभ लेकर हम स्वावलंबी बनेंगे। नाना जी का मूल मंत्र भी स्वावलंबन का ही था और उनका यह कार्य चित्रकूट की 50 कि0मी0 परिधि में आने वाले गॉवों में लगातार हो रहा है। यह प्रशिक्षण भी उसी का एक भाग
 है।
विजय त्रिवेदी चित्रकूट

रिपोर्ट- विजय त्रिवेदी. जिला संवाददाता चित्रकूट
Comment As:

Comment (0)