•   Monday, 25 Nov, 2024
शामली में इस्लाम शजरकारी वृक्षारोपण की अहमियत और ज़रूरत

शामली में इस्लाम शजरकारी वृक्षारोपण की अहमियत और ज़रूरत

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  Varanasi ki aawaz

शामली में इस्लाम शजरकारी वृक्षारोपण की अहमियत और ज़रूरत

शामली। वाराणसी की आवाज। हम तो महरूम हैं सायों की रिफ़ाक़त से मगर आने वाले के लिए पेड़ लगा देते हैं

*इस्लाम दीन फितरत और दीन-ए-इन्सानियत है ,इस लिहाज़ से अल्लाह का आख़िरी दीन,यानी इस्लाम महज़ अक़ाइद-ओ-इबादात के मजमुए का नाम नहीं, बल्कि ये एक मुकम्मल और जामे निज़ाम ए हयात है। इस में इन्सानी ज़िंदगी के हर पहलू और हर रुख के लिए अबदी हिदायात और अहकाम मौजूद हैं

दरख़्त अल्लाह ताला की नेअमत उज़्मा है
क़ुरआन-ए-करीम में अल्लाह तआला ने दरख़्तों और दरख़्तों के मुख़्तलिफ़ अलग ज़ायक़ों को अपनी निशानी क़रार दिया है मुहसिन इन्सानियत हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शजरकारी (वृक्षारोपण) को फ़रोग़ देने के लिए ईमान वालों पर शजरकारी को सदक़ा क़रार दिया है ।आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ''जो मुस्लमान दरख़्त लगाए या फसल बोए, फिर इस में से जो परिंदा या इंसान या चौपाया खाए तो वो उस की तरफ़ से सदक़ा शुमार होगा । (सही बुख़ारी )
आपﷺ ने शजरकारी को इतनी एहमीयत दी कि इस अमल को क़यामत तक जारी रखने का हुक्म फ़रमाया।
इरशाद-ए-नबवी है :''अगर क़ियामत की घड़ी आजाए और तुम में से किसी के हाथ में पौदा है और वो उसे लगा सकता है तो लगाए बग़ैर खड़ा ना हो।(मस्नद अहमद)
आपﷺ की तालीमात में ना सिर्फ दरख़्त लगाने के मुताल्लिक़ अहकाम मिलते हैं, बल्कि दरख़्त, पौदे लगा कर उस की हिफ़ाज़त के भी वाजेह अहकाम मिलते हैं

शजरकारी से मुराद है दरख़्त लगाना, दरख़्त माहौल को दुरुस्त रखने और ख़ूबसूरती बढ़ाने में अहम किरदार अदा करते हैं। ये हमें साफ़ हवा फ़राहम करते हैं। तूफ़ानों का ज़ोर कम करते हैं। आबी कटाव को रोकते हैं, आब-ओ-हवा के तवाज़ुन को बरक़रार रखते हैं और ऑक्सीजन  फ़राहम करते हैं। एक दरख़्त 36 नन्हे बच्चों को ऑक्सीजन फ़राहम करता है और दो पूरे ख़ानदानों को 10 दरख़्त एक टन एयर कंडीशनर जितनी ठंडक मुहय्या करते हैं। ये दर्जा हरारत को भी एतिदाल-ओ-तवाज़ुन बख़्शते हैं

दरख़्त इन्सानी ज़िंदगी में मुख़्तलिफ़ पहलूओं से असर-अंदाज़ होते हैं। ये भूक के मारे हुओं के लिए ममता का किरदार अदा करते हैं, कभी तो ये दोस्त बन जाते हैं, तो कभी दस्त गीरी के अमीन। बाक़ौल मजीद अमजद

एक बोसीदा ख़मीदा पेड़ का कमज़ोर हाथ
सैंकड़ों गिरते हुवो की दस्तगीरी का अमीन

ज़रूरत इस अमर की है कि ज़्यादा से ज़्यादा दरख़्त लगाए जाएं । उनकी देख-भाल की जाये और आने वाली नसल को भी शजरकारी के फ़वाइद और एहमीयत से वाक़िफ़ कराया जाये और नसल ए इन्सानी के दाइमी तहफ़्फ़ुज़ के लिए ना सिर्फ एक दिन बल्कि पूरा साल शजरकारी मुहिम का रवा रखा जाये इसी के मद्द-ए-नज़र आज मस्जिद कुरेशियान के इमाम-ओ-ख़तीब मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुबैर क़ासमी झिंझानवी और क़ारी अलीनवाज़ टपरानवी और तमाम तलबा ने मिलकर शजरकारी की इस मुहिम में बहुत से शजर लगा कर लोगों को ये पैग़ाम दिया है । अल्लाह तबारक वतआला हम सबको अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।( आमीन )

मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुबैर क़ासिमी झिंझानवी इमाम-ओ-ख़तीब मस्जिद कुरेशियान शामली

रिपोर्ट- अजीत कुमार श्रीवास्तव, शामली, सहारनपुर मण्डल
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