•   Tuesday, 26 Nov, 2024
Fake FIR filed against journalists by unbridled police for publishing true news in Yogi government

योगी सरकार में सच खबरें प्रकाशित करने पर बेलगाम पुलिस द्वारा पत्रकारों पर फर्जी एफ आई आर

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  Varanasi ki aawaz

योगी सरकार में सच खबरें प्रकाशित करने पर बेलगाम पुलिस द्वारा पत्रकारों पर एफ आई आर


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ‘सरकारी तंत्र’ की ‘खामी दिखाना’ अथवा सत्ता प़क्ष के ‘रसूखदारों का भ्रष्टाचार’ उजागर करना, अपराध की श्रेणी में ला दिया गया है। परिणामतः पत्रकारों के खिलाफ गम्भीर धाराओं में मामला दर्ज कर पत्रकारिता प्रभावित करने पर जोर दिया जा रहा है।


सूबे के जौनपुर, गोण्डा, मीरजापुर,वाराणसी, चन्दौली, जौनपुर मुजफ्फरनगर, कानपुर नगर व कानपुर देहात सहित अनेक जिलों में ऐसे ही मामले प्रकाश में आ चुके हैं। जिनमें उन पत्रकारों को निसाना बनाया गया है जिन्होंने या तो सरकारी तंत्र की खामी उजागर की है अथवा किसी रसूखदार नेता की काली करतूतों को उजागर किया है।
कुछेक दिनों पहले की बात करें तो गोण्डा की एक महिला पत्रकार पुनीता मिश्रा के विरुद्ध एक महिला को वादी बनाकर कोतवाली गोण्डा में भा. द. सं. 354, 323, 504 व 506 के तहत एफ आई आर इस लिये दर्ज करवा दी गई क्योंकि पुनीता ने जिला प्रशासन की खामियों को उजागर करने का साहस जुटाया। इसके पहले की बात करें गोण्डा के ही सरकारी अस्पताल में लापरवाही के चलते एक नवजात की जान चली गई थी। यह मामला उजागर करने वाले पत्रकार के विरुद्ध गम्भीर धाराओं में मामला दर्ज करवा दिया गया था।
अभी ताजा-ताजा एक मामला कानपुर देहात का संज्ञान में आया है। विगत दिनों पूर्व सांसद व मौजूदा राज्यमन्त्री के पति अनिल शुक्ला वारसी, क्षेत्रीय लोगों की समस्याओं को लेकर पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात केे आवास पर मिलने गये थे। पुलिस अधीक्षक के आवास पर शायद सामन्जय ना बनने के चलते श्री शुक्ला, पुलिस अधीक्षक के आवास की चौखट पर बैठ गये थे। इसी विषय को लेकर अनेक मीडिया संस्थानों ने खबर प्रकाशित कर दी। खबर का शीर्षक था, ‘‘ एसपी आवास पर धरने पर बैठे….’’ आदि।
यह खबर पुलिस अधीक्षक बी. बी. जी. टी. एस. मूर्ति के कारखास एक उप निरीक्षक रजनीश कुमार वर्मा को चुभ गई और उसने पुलिस अधीक्षक की छवि खराब करने की तहरीर बनाकर ए बी पी के पत्रकार विकास धीवान के खिलाफ अकबरपुर कानपुर देहात में भा. द. सं. 499, 500 व 501 के तहत एफ. आई. आर. दर्ज करवा दी है।
अब विचारणीय पहलू यह है कि सत्ता पक्ष के रसूखदार नेता जी धरने पर बैठे थे, इसके पूरे तथ्य भी हैं अर्थात खबर जो प्रकाशित की गई है, ‘वह खबर सच है और तथ्यों पर आधारित है।’ फिर भी पत्रकार के खिलाफ एफ, आई. आर. दर्ज करके प्रेस की आजादी को प्रभावित करने का काम किया गया है और यह निरन्तर देखने को मिल रहा है।
ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि, ‘‘उप्र की योगी की सरकार में सरकारी तंत्र की खामियों को अथवा सत्ता पक्ष के रसूखदारों की काली करतूतों (भ्रष्टाचार) को उजागर करना, क्या अपराध की श्रेणी में ला दिया गया है ?’’

रिपोर्ट- आरिफ खान बाबा, मंडल संवाददाता आगरा
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