•   Monday, 25 Nov, 2024
Hariyali Teej is a symbol of love good fortune and beauty of nature Arif Khan Baba

हरियाली तीज प्रेम सौभाग्य और प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक आरिफ खान बाबा

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  Varanasi ki aawaz

हरियाली तीज प्रेम सौभाग्य और प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक आरिफ खान बाबा

आइए हम अपने जीवन में प्रेम और सौभाग्य को बढ़ावा दें और प्रकृति के सौंदर्य का सम्मान करें : 


  हम सब मिलकर इस हरियाली तीज पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें : 

आगरा। सावन का महीना शुरू होते ही हर कोई त्योहारों के रंग में रंगा नजर आता है। इसी महीने में हरियाली तीज का त्योहार भी आता है। इस वर्ष यह 7 अगस्त यानी मंगलवार को शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। पृथ्वी को हरा-भरा करने का संदेश देते हुए हरियाली तीज, हमें प्रकृति से जुड़ने के साथ पर्यावरण के प्रति समर्पण की शिक्षा देता है। इसलिए हमारी सभी से अपील हैं कि आइएं इस हरियाली तीज पर हम सब मिलकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें और पृथ्वी को हरी-भरी बनाएं। आइए हम सब इस हरियाली तीज के पर्व को अपने जीवन में उतारें और अपने रिश्तों में प्रेम और सौभाग्य को बढ़ावा दें।  7 अगस्त को हम हरियाली तीज का पर्व मनाएंगे। जो पति-पत्नी के प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में प्रेम और सौभाग्य का महत्व कितना अधिक है। हरियाली तीज का पर्व मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है। यह पर्व हमें प्रकृति के सौंदर्य और शक्ति का सम्मान करने की याद दिलाता है। इस पर्व पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए पूजा-पाठ और व्रत करती हैं। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, समर्थन और त्याग कितने महत्वपूर्ण हैं। क्योकि हरियाली तीज प्रेम, सौभाग्य और प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक है। तो आइए हम अपने जीवन में प्रेम और सौभाग्य को बढ़ावा दें और प्रकृति के सौंदर्य का सम्मान करें तथा प्रकृति के साथ अपना रिश्ता बनाकर रखें क्योकि जिस दिन प्रकृति ने हमसे रिश्ता तोड़ दिया तो कोई जीवित नहीं रह सकता है। पेड़ों में हमारे जीवन का अस्तित्व समाहित है और पेड़ प्रकृति की देन है। 

पेड़ - पौधे मनुष्य के लिए अमूल्य धरोहर हैं। अगर हम तीज-त्योहारों पर धार्मिक आस्था के साथ थोड़ी फिकर पर्यावरण संरक्षण की करें। तो निश्चित रूप से प्रदूषण के कारण बढ़ती बीमारियों को कम किया जा सकता है। इसीलिए हमारी सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़-पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान देकर उनकी पूजा का विधान बताया गया है। इस पर्व का जितना धार्मिक महत्त्व है, उतना ही वैज्ञानिक औचित्य भी है। वही, हरियाली अमावस्या हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और धरती को हरी-भरी बनाने का संदेश देती है। पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार है, जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आजकल जब मौसम तेजी से पूरे विश्व में बदल रहा है। तब यह हरियाली तीज एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि पृथ्वी को हरी-भरी बनाने का संकल्प पर्व भी है। अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए आइए हम अपने जीवन में प्रेम और सौभाग्य को बढ़ावा दें और प्रकृति के सौंदर्य का सम्मान करें। इसी विचार के साथ सभी को हरियाली तीज के पर्व की शुभकामनाएं!

रिपोर्ट- आरिफ खान बाबा.. आगरा
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