नए कानूनों के साथ भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने के लिए एक प्रभावी तंत्र मुहैया एसीपी अतरसुइया
नए कानूनों के साथ भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने के लिए एक प्रभावी तंत्र मुहैया एसीपी अतरसुइया
प्रयागराज। वाराणसी की आवाज। भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नया युग आरंभ हुआ है। तीन नए आपराधिक कानून - भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। इन कानूनों ने ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। इनका उद्देश्य एक आधुनिक और अधिक प्रभावी न्याय प्रणाली स्थापित करना है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के जनपद प्रयागराज में पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा के दिशा निर्देश पर जनपद के विभिन्न थानों पर नए कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु थाना परिसर में बैठक आयोजित की गई। उसी कड़ी में एसीपी अतरसुइया आईपीएस पुष्कर वर्मा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी निरीक्षक अमरनाथ राय ने कोतवाली करैली परिसर में एक जागरूकता बैठक आयोजित की। बैठक में एसीपी अतरसुइया आईपीएस पुष्कर वर्मा, थाना करैली के सभी पुलिस कर्मियों के साथ क्षेत्र के पार्षद, संभ्रांत व्यक्ति, मीडिया के सदस्य, सिविल डिफेंस, और पुलिस पेंशनर्स आदि मौजूद थे।
एसीपी अतरसुइया ने कहा, "इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है, जो औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं। नए कानूनों में कई आधुनिक प्रावधान शामिल हैं, जैसे कि 'जीरो एफआईआर', पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, एसएमएस के जरिये समन भेजना, और जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी। जीरो एफआईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराने की सुविधा। ऑनलाइन शिकायत लोग पुलिस स्टेशन गए बिना भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। कोर्ट के समन को एसएमएस के माध्यम से भेजने की सुविधा। जघन्य अपराधों की जगह की वीडियोग्राफी अनिवार्य।
एसीपी अतरसुइया ने बताया कि इन कानूनों का उद्देश्य मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने के लिए एक प्रभावी तंत्र मुहैया कराना है। उन्होंने कहा, "नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिनों के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।"
दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला पुलिस अधिकारी अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेंगी। मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर देनी होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध माना जाएगा। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान। संगठित अपराध और आतंकवाद के कृत्यों की नई परिभाषा दी गई है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। सभी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है। शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी, चोरी जैसे मामलों से निपटने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
थाना प्रभारी करैली अमरनाथ राय ने कहा "नए कानून न्याय, पारदर्शिता, और निष्पक्षता पर आधारित हैं। इनसे अपराधों की रिपोर्टिंग और निपटारा अधिक सुगम होगा।" इस ऐतिहासिक बदलाव के साथ, भारत ने अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली को एक नई दिशा दी है, जो कि अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और प्रभावी है। अब देखने वाली बात होगी कि यह नया तंत्र कैसे और कितनी जल्दी जमीन पर अपनी पकड़ बनाता है और भारतीय समाज को सुरक्षित और न्यायसंगत बनाता है। बैठक का समापन राष्ट्रगान के साथ स - सम्मान किया गया। इस ऐतिहासिक बदलाव के साथ, भारत ने अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली को एक नई दिशा दी है, जो अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और प्रभावी है। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने नए कानूनों के प्रति अपने विचार व्यक्त किए और इस बदलाव को सकारात्मक रूप में स्वीकार किया।
रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद