खबर का असर तत्काल कार्रवाई किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट मुकदमा दर्ज
खबर का असर तत्काल कार्रवाई किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट मुकदमा दर्ज
आगरा ( किरावली) । कल हमारे समाचार पत्र में आखिर किसके संरक्षण में चल रहा सरकारी चावल सिंडिकेट का काला कारोबार, शीर्षक पर तत्काल अधिकारियों ने कार्रवाई की है। मंगलवार को अछनेरा थाना क्षेत्र के रायभा गांव में जिला आपूर्ति विभाग की छापेमारी में सरकारी चावल के बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ। विभाग ने छापेमारी के दौरान 559 बोरे सरकारी चावल जब्त किए, जिनमें से 497 बोरे चावल राशन माफियाओं ने गांव-गांव फेरी लगाकर गरीबों से कम दाम पर खरीदे थे। इस अवैध कारोबार के मुख्य आरोपी सुमित अग्रवाल और मनीष अग्रवाल बताए जा रहे हैं, जो इन चावलों को ऊंचे दामों पर अन्य जिलों में बेचने की योजना बना रहे थे।
राशन माफियाओं का व्यापक नेटवर्क
राशन माफियाओं का नेटवर्क रायभा और नगला बुद्धा गांवों में मुख्य रूप से सक्रिय था, जहां जिला पूर्ति अधिकारी की अगुवाई में छापेमारी की गई। यह नेटवर्क आसपास के दर्जनों गांवों तक फैला हुआ है और मथुरा, खेरागढ़, किरावली, फतेहपुर जैसे कई अन्य क्षेत्रों तक सक्रिय है। माफिया गरीब परिवारों को पैसों का लालच देकर उनसे सरकारी चावल सस्ते में खरीदते हैं और फिर उन्हें ऊंचे दामों पर अन्य जिलों में बेचकर मुनाफा कमाते हैं। छापेमारी के दौरान गोदाम में लगभग दो दर्जन लोग चावल की दुलाई और लोडिंग में लगे हुए पाए गए।
पहले भी दर्ज हो चुका है मामला
जिला पूर्ति अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि जब्त किए गए चावल को राशन डीलरों को सुपुर्द कर दिया गया है और जिलाधिकारी से अनुमति के अनुसार माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सुमित अग्रवाल के खिलाफ पहले भी इसी प्रकार की अवैध गतिविधियों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में देरी के कारण ये गतिविधियां अब तक चलती रहीं। थाना अछनेरा के एसएसआई जितेंद्र यादव के अनुसार, अभियोग दर्ज करने के आदेश मिल चुके हैं और जल्द ही कानूनी कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी।
प्रभावशाली संरक्षण की जांच जरूरी
यह सवाल उठता है कि यह माफियागिरी किसके संरक्षण में चल रही है? सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली व्यक्ति और विभागीय अधिकारी भी इस रैकेट में शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही, एक कथित पत्रकार का नाम भी सामने आया है, जिसने माफियाओं को संरक्षण देने के लिए अपनी पहुंच का इस्तेमाल किया है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबों का राशन माफियाओं के हाथों चला जाता है, जिससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है।
सरकार और प्रशासन के सामने अब यह चुनौती है कि इस रैकेट से जुड़े प्रभावशाली लोगों की जांच कर, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाए, ताकि गरीबों के हक की रक्षा की जा सके और इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।