उत्तर प्रदेश में योगी बाबा का दहशत गायब ना न्यायालय के आदेश और ना प्रशासन का खौफ मंदिर की जमीन को बेचने में लगा दबंग महंत बुजुर्गों की धरोहर को बचाने के लिए अपील
उत्तर प्रदेश में योगी बाबा का दहशत गायब ना न्यायालय के आदेश और ना प्रशासन का खौफ मंदिर की जमीन को बेचने में लगा दबंग महंत बुजुर्गों की धरोहर को बचाने के लिए अपील
आगरा। वाराणसी की आवाज। तहसील किरावली के गांव में मंदिर ट्रस्ट की जमीन को स्वयंभू पुजारी द्वारा खुर्द बोर्ड का अवैध रूप से बेचा जा रहा है कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद मंदिर की जमीन पर बेवकूफ होकर अवैध निर्माण कराया जा रहा है भू माफिया इतने दबंग है कि उन्हें नकुट के आदेशों की चिंता और ना ही बाबा के बुलडोजर की फिक्र है पुजारी भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने के लिए दूसरे समुदाय को मंदिर की जमीन को बेच रहा है। मंदिर की जमीन पर लगातार निर्माण जारी है ।किरावली में भू माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि बेखौफ होकर वह माफिया दबंगई से मंदिर की बेस कीमती जमीन पर कब्जा कर खुर्द बुरद करने में जुटे हुए हैं। न्यायालय में मामला बेचारा दिन होने पर भी भूमाफिया जमीन को देखो होकर बेच रहे हैं। जमीन पर अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है विरोध करने वालों को बराबर भूमाफियाओं द्वारा डराया धमकाया जा रहा है।
तहसील किरावली के गांव अभय दो पुर निवासी अनूप सिंह ने बताया कि 200 साल पहले उनके बुजुर्गों ने अपनी जमीन दान पर गांव में मंदिर का निर्माण कार्य के लिए दी थी मंदिर में पूजा अर्चना की जिम्मेदारी गांव के ही गिरिराज किशोर को सौंप गई ।समय के साथ महंत की मंदिर की बेसकीमती जमीन पर नियत खराब हो गई। उसने मंदिर की जमीन को टुकड़ों में बेचना शुरू कर दिया। इसी बीच बुजुर्गों की धरोहर को बचाने के लिए परिजनों ने मंदिर ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू की। आम जनता को आपत्ति दर्ज करने के लिए समाचार पत्र में गजट कराया गया लेकिन कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई। इस बीच मंदिर के महान गिरिराज किशोर की मृत्यु हो गई। उसका पुत्र राजेंद्र सिंह मंदिर का स्वयं महंत बन गया राजेंद्र सिंह ने अवैध रूप से करीब डेढ़ बीघा जमीन गांव के अल्पसंख्यक समाज के व्यक्ति को बेच दी। मंदिर कमेटी के लोगों ने इस बारापति जताई। श्याम महान राजेंद्र सिंह पर 1987 में मुकदमा दर्ज कराया गया अदालत ने उसे बनाने को सोनू घोषित कर दिया न्यायालय ने राजेंद्र सिंह और अल्पसंख्यक के उक्त जमीन के स्वामी संपत्ति के प्रबंधक पद से हटाकर नए टेस्टी नियुक्त किए गए। इस पर महंत ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो 2006 में खारिज हो गई वर्ष 2013 में अदालत ने यथा स्थिति बनाए रखने के लिए आदेश पारित किया वर्तमान में भी प्रभावित है अब महंत द्वारा न्यायालय के फैसले को दरकिनार कर मंदिर की जमीन पर कब्जा का निर्माण कराया जा रहा है। शासन प्रशासन को लिखित में शिकायत प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया गया है अभी तक इस पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं आई है ग्रामीण में भारी आक्रोश व्याप्त है