वाराणसी हाँ भईया बताये ऐसे है कमिश्नरेट पुलिस के मंडुआडीह थानाध्यक्ष
वाराणसी हाँ भईया बताये ऐसे है कमिश्नरेट पुलिस के मंडुआडीह थानाध्यक्ष
वाराणसी पुलिस जिन चार उपनिरीक्षकों पर भरोसा कर उन्हें थानेदारी सौंपी थी उनके दो थानेदार ऐसे निकले जिन्होंने क्षेत्र की जनता का मन मोह लिया कमिश्नरेट वाराणसी के मॉडल थाना मंडुआडीह के थानाध्यक्ष राजीव सिंह के सफलता पूर्वक दश माह होने जा रहे है जो कि किसी का भी कॉल आने पर "जी भईया बताये" सबसे पहले बोलते है अगर उनके कार्यो की व्याख्या की जाये तो शायद अखबार का कोई कोना नही बचेगा ।
क्षेत्र के साथ ही थाने के सभी लोग अपने इस थानाध्यक्ष को लेकर काफी चिंतित रहते है कि कहि इनका ट्रांसफर ना हो जाये
बीएसएफ की नौकरी छोड़ राजीव सिंह ने पुलिस की सेवा में उतरने का विचार किया जो कि आज वाराणसी कमिश्नरेट के हिसाब से बिल्कुल सही है राजीव सिंह पर सीपी ए० सतीश गणेश ने उन्हें मंडुआडीह का चार्ज दिया जिसमें वे पूर्णतः सफल रहे 10 माह बीतने पर भी शायद ही कोई निराश गया हो थाने से ।
वही दूसरे तरफ थानाध्यक्ष सारनाथ अर्जुन सिंह को दूसरे की गलती के कारण लाईन हाज़िर होना पड़ा लेकिन जितनी उपलब्धि सारनाथ एसओ के पद पर रह कर अर्जुन सिंह ने हासिल की थी शायद ये नामुमकिन था ।
फिलहाल वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट अपनी तानाशाही नीति से बनारस को कंट्रोल कर रहा है लेकिन असली और नकली की पहचान उनमें नही है यही वास्तविकता है।