•   Tuesday, 26 Nov, 2024
Allahabad From one muharram to ten muharrams the holy spirit in the name of Imam Hussain erases ever

इलाहाबाद एक मोहर्रम से दस मोहर्रम तक इमाम हुसैन के नाम लगी सबील तिश्नगी दिल से हर ऐहसास मिटा देती है प्यास इन्सान को दिवाना बना देती है

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  Varanasi ki aawaz

इलाहाबाद एक मोहर्रम से दस मोहर्रम तक इमाम हुसैन के नाम लगी सबील तिश्नगी दिल से हर ऐहसास मिटा देती है प्यास इन्सान को दिवाना बना देती है


प्रयागराज शिया समुदाय के लोग पैग़म्बरे इसलाम मोहम्मदे मुस्तफा के नवासे हज़रत इमाम हुसैन उनके असहाब और अक़रबा पर यज़ीदी सेना द्वारा नहरे फोरात पर लगाए गए पहरे और तीन दिन की भूख और प्यास की शिद्दत मे करबला की सरज़मी पर शहीद कर देने की 14 सौ साल पहले घटी सबसे बड़ी आतंकी घटना को याद करते हुए प्रत्येक वर्ष माहे मोहर्रम के चाँद के नमुदार होने के बाद से लगातार 67 दिन नवासा ए रसूल पर ढ़ाए गए ज़ुल्म को ताज़ा करते हुए ग़मगीन मजलिस और नौहे के द्वारा अज़ीमुश्शान शहादत पर गिरया ओ ज़ारी करता है।

 वही करबला के प्यासों के नाम पर कहीं ठण्डा पानी तो कहीं दूध के शरबत की सबील लगाकर यह पैग़ाम देता है की हुसैन ए मज़लूम पर जहाँ यज़ीद ने पानी बन्द कर सूखे गले पर कुंद खंजर चला कर ज़िब्हा कर दिया तो हम हुसैन के शैदाई राहगीरों को पानी और शरबत पिलाकर उस वक़्त के पहले आतंकी यज़ीद के कारनामों को उजागर करते रहेंगे ताकि अब कहीं भी दूसरा यज़ीद न पैदा हो सके।शाहरुक़ क़ाज़ी द्वारा कोतवाली जीटी रोड पर एक मोहर्रम से दस मोहर्रम तक इमाम हुसैन के नाम लगी सबील यही पैग़ाम दे रही है। 

इस मौक़े पर शायर व आफताबे निज़ामत नजीब इलाहाबादी ने क्या खूब कहा
हमने तो एक सबील लगा दी है राह मे पानी पिओ तो करबोबला हो निगाह में,
यह है लगी सबील शहे तश्नाकाम की असग़र से शीरख्वार व सकीना के नाम की,
 तिश्नगी दिल से हर ऐहसास मिटा देती है प्यास इन्सान को दिवाना बना देती है,
 यह है लगी सबील 72 के नाम की नूरे निगाहे साक़ीए कौसर के नाम की।

रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद
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