साइबर सेल के सराहनीय प्रयास द्वारा एक व्यक्ति को फर्जी फोन कॉल के माध्यम से साइबर फ्रॉड से बचाया गया
साइबर सेल के सराहनीय प्रयास द्वारा एक व्यक्ति को फर्जी फोन कॉल के माध्यम से साइबर फ्रॉड से बचाया गया
प्रयागराज के कटरा थाना कर्नलगंज निवासी अबसार हुसैन द्वारा साइबर सेल प्रयागराज को सूचित किया गया कि उनके पास एक व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप पर पुलिस अधिकारी की फोटो लगाकर +92 सीरीज के अलग-अलग नंबरों से कॉल की जा रही है। कॉल करने वाला व्यक्ति न केवल उनके बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के नाम भी जानता था। इस सूचना पर साइबर सेल टीम ने तत्काल अबरार हुसैन से संपर्क किया और प्रकरण की जांच की। आवेदक को डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध के बारे में अवगत कराते हुए बताया गया कि ये साइबर अपराधी होते हैं जो विभिन्न शहरों में बैठकर लोगों को डराकर ठगने का प्रयास करते हैं।
अबरार हुसैन की जागरूकता और तत्परता के कारण, उन्होंने समय पर साइबर सेल टीम से संपर्क किया जिससे वह साइबर फ्रॉड से बच गए। अबरार हुसैन ने साइबर सेल के सार्थक प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
स्कैमर्स के अपराध करने का तरीका
स्कैमर्स आमतौर पर एक ऐसी स्क्रिप्ट/कहानी बनाते हैं जिससे व्यक्ति के मन में भय और घबराहट की भावना पैदा हो। अपराधी प्रायः व्हाट्सएप पर +92 से शुरू होने वाले या अन्य अज्ञात नंबरो से संपर्क करते हैं और खुद को पुलिस अधिकारी बताते हैं। कॉल करने वाला व्यक्ति पीड़ित से दावा करता है कि उनके परिवार के सदस्य या करीबी व्यक्ति को गंभीर अपराध में फंसा दिया गया है। प्रायः दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोपों का उल्लेख करके तनाव और घबराहट को बढ़ाया जाता है। स्कैमर इसी भय और घबराहट का फायदा उठाते हुए, पीड़ित से बड़ी रकम बैंक खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं ताकि उनके परिवार के सदस्य या करीबी व्यक्ति की रिहाई हो सके और कानूनी परेशानी से बचा जा सके। मना करने पर कानूनी कार्यवाही करने, गिरफ्तारी, या अन्य गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है।
आम जनमानस से अपील/अपराध से बचाव का तरीका
वास्तविक पुलिस अधिकारी कभी भी गंभीर कानूनी अपराधों के बारे में नागरिकों से व्हाट्सएप पर संपर्क नहीं करते हैं और न ही आरोप हटाने या किसी को हिरासत से रिहा करने के बदले पैसे की मांग करते हैं। यदि कोई व्यक्ति स्वयं को पुलिस अधिकारी बताते हुए कॉल करता है तो सबसे पहले उसका नाम, पद और तैनाती का विवरण मांगें। कॉल समाप्त करें और तत्काल अपने स्थानीय थाना की पुलिस से संपर्क करें और कॉलर के दावे की सत्यता की जांच करें। बिना सत्यापन के किसी भी व्यक्ति के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें और न ही रुपये ट्रांसफर करें। साथ ही ठगी के प्रयास के बारे में तत्काल पुलिस को सूचित करें। अपने परिवार और दोस्तों को इस स्कैम के बारे में बताएं और उन्हें भी जागरूक करें। यदि किसी व्यक्ति के साथ साइबर फ्रॉड हो जाता है तो उस दशा में तत्काल साइबर हेल्पलाइन नंबर-1930 और साइबर क्राइम की आधिकारिक वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर शिकायत पंजीकृत करें।
प्रयागराज कमिश्नरेट साइबर सेल की टीम में शामिल रहे
उपनिरीक्षक विनोद कुमार यादव, प्रभारी साइबर सेल, कांस्टेबल ग्रेड ए जय प्रकाश सिंह, कांस्टेबल अनमोल कुमार सिंह, कांस्टेबल पुनीत सिंह।
साइबर सेल के इन प्रयासों ने न केवल अबरार हुसैन को फर्जी कॉल के माध्यम से ठगे जाने से बचाया बल्कि अन्य नागरिकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि जागरूकता और समय पर कार्रवाई से साइबर अपराधों से बचा जा सकता है। साइबर सेल की टीम ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और तत्परता से एक बड़ी धोखाधड़ी को रोका, जो समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है।
रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद