•   Monday, 25 Nov, 2024
Demonstration by Disha student organization against Prayagraj fee hike was told that the backbone of

प्रयागराज फीस वृद्धि के खिलाफ दिशा छात्र संगठन द्वारा प्रदर्शन कर बताया गया इविवि प्रशासन द्वारा किया जा रहा समाज की रीढ़ पर हमला

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  Varanasi ki aawaz

प्रयागराज फीस वृद्धि के खिलाफ दिशा छात्र संगठन द्वारा प्रदर्शन कर बताया गया इविवि प्रशासन द्वारा किया जा रहा समाज की रीढ़ पर हमला

प्रयागराज:- इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई बेतहाशा फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ आज दिशा छात्र संगठन द्वारा छात्रसंघ भवन पर प्रदर्शन किया गया। इसके बाद परिसर में पैदल जुलूस निकालकर प्रॉक्टर आफिस के जरिये कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया और तत्काल फ़ीस वृद्धि वापस लेने की मांग की गयी।
दिशा छात्र संगठन के चन्द्रप्रकाश ने कहा कि इविवि प्रशासन द्वारा नए सत्र में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए 4 गुना फीस वृद्धि बहुत ही शर्मनाक है। बेतहाशा फ़ीस वृद्धि और कुछ नहीं बल्कि सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों का चोर दरवाजे से निजीकरण की दिशा में बढ़ा हुआ एक कदम है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाली छात्रों की एक बड़ी आबादी आम मेहनतकश परिवार, ग्रामीण मज़दूर-किसान परिवारों से आती है। विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कदम छात्रों के इस आबादी को परोक्ष रूप से परिसर से बाहर कर देगा। मेहनतकशों के बच्चों को कैम्पस से बाहर धकेलने की यह प्रक्रिया इस बेतहाशा फ़ीस वृद्धि के पहले भी पिछले लम्बे समय से सेल्फ़ फाइनेंस कोर्सेज, डिप्लोमा कोर्सेज और अन्य विविध रूपों में जारी थी। 
संगठन के धर्मराज ने बताया कि दरअसल यह फीस वृद्धि नयी शिक्षा नीति-2020 का नतीजा है।  शिक्षा समाज की रीढ़ होती है इसलिए एक सभ्य समाज में ऊँची से ऊँची तालीम मुफ़्त होनी चाहिए। लेकिन आज हमारे देश में बयार उलटी दिशा में बह रही है। शिक्षा का व्यवसायीकरण-बाज़ारीकरण जोरो-शोरो से किया जा रहा है। इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र हितों को ताक पर रखकर नये सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए 400 प्रतिशत फ़ीस वृद्धि का तुगलकी फ़रमान जारी किया है। । उच्च शिक्षा को सुधारने के लिए ‘हायर एजुकेशन फ़ाइनेंसियल एजेंसी (HEFA)’  बनी हुई है जो विश्वविद्यालयों को अनुदान की बजाय क़र्ज़ देगी जो उन्हें 10 वर्ष के अन्दर चुकाना होगा। सरकार लगातार उच्च शिक्षा बजट को कम कर रही है। सरकार की मानें तो विश्वविद्यालय को अपना फ़ण्ड, फ़ीसें बढ़ाकर या किसी भी अन्य तरीक़े से जुटाना होगा जिसका बोझ अन्ततः विद्यार्थियों पर ही पड़ेगा। ऑटोनॉमी के नाम पर निजीकरण और विभिन्न ज़रूरी प्रोजेक्ट्स से पल्ला झाड़ते हुए उन्हें सेल्फ फ़ण्डिंग की सूची में डालना, फ़ेलोशिप में भारी कटौती करना, उच्च शिक्षा का दरवाज़ा देशी और विदेशी पूँजीपतियों के लिए खोलना, देर-सबेर उच्च शिक्षा को भी उसी दलदल में पहुँचा देगा जहाँ प्राथमिक शिक्षा का तंत्र है।
प्रदर्शन में सौम्या, आकांशा, शिवा, नीशू, अम्बरीष, दिव्यांशु, विशाल, अविनाश, पवन, सूरज, आदित्य, सुरेश, रवि अनिल, सत्यम, सनी आनन्द आदि छात्र मौजूद रहे।

रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद
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