प्रयागराज कर्बला में दफन हुए अकीदत के फूल
प्रयागराज कर्बला में दफन हुए अकीदत के फूल
प्रयागराज, वाराणसी की आवाज। 17 जुलाई: मोहर्रम की दसवीं यानी यौमे आशूरा पर बुधवार को प्रयागराज में इन्सानियत और बलिदान का संदेश फैलाते हुए करबला के मैदान में तीन दिन के भूखे प्यासे खानदाने रिसालत की शहादत को याद किया गया। आशूरा के अवसर पर शहर में हर तरफ ग़म का माहौल था, और श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे। नंगे पैर इमामबाड़ों से करबला तक का पैदल सफर तय कर श्रद्धालुओं ने इमामबाड़ों में रखे ताज़िये और अलम, ताबूत, झूला और ज़ुलजनाह पर चढ़े फूलों को नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक किया। पूरे शहर में 'या अली' और 'या हुसैन' की सदाएं गूंज उठीं और सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में गम का माहौल छाया रहा। इमामबाड़ों से निकलने वाले ताजिया, मेहंदी और झूले आदि के फूलों को श्रद्धालुओं ने परंपराओं के साथ कर्बला में दफन किया। सुबह से ही चकिया स्थित करबला में लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। दरमियान, दरियाबाद-रानीमंडी, बक्सी, रसूलपुर, करैली आदि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में मातमी मजलिसें आयोजित की गईं। शिया समुदाय के लोगों ने करबला में इमाम हुसैन के रौज़े पर तुरबत रखकर सर और छाती पीटकर मातम किया। वहीं दूसरी ओर सुन्नी समुदाय के इमामबाड़ों में तबर्रुक़ात पर चढ़ाए गए फूलों और ताज़िये को करबला में बनाए गए गंजे शहीदाँ में नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक किया गया। निर्धारित समय पर सुन्नी समुदाय द्वारा बुढ्ढा और बड़ा ताजिया के फूलों को भी दफनाया गया।कुर्बानी के किस्से सुनाए गए और कर्बला के शहीदों के फूलों को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं का हुजूम देखने को मिला। धार्मिक और स्वयंसेवी संस्थाओं ने जगह-जगह लंगर का आयोजन किया, जहां श्रद्धालुओं को भोजन वितरित किया गया।बड़ा ताजिया के फूल निरंजन सिनेमा, जानसेनगंज, नखास कोहना होते हुए करबला पहुंचे। वहीं बुढ्ढा ताजिया के फूल नूरउल्लारोड से मर्करी चौराहा, जीटी रोड होते हुए करबला पहुंचे, जहां ताजियों के फूलों को करबला में दफना दिया गया। श्रद्धालुओं ने इमाम हुसैन और उनके परिवार वालों के लिए फातेहा पढ़ी। इस दौरान प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस की मुस्तैदी नजर आई। जगह-जगह बैरिकेडिंग कर वाहनों का आवागमन रोका गया और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए। मोहर्रम का पर्व सकुशल संपन्न हुआ। इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत की याद में मनाए जाने वाले इस पर्व ने एक बार फिर इंसानियत और बलिदान का संदेश दिया। पूरे शहर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और सभी ने एकजुट होकर इस पर्व को मनाया। श्रद्धालुओं की आंखों में इमाम हुसैन के प्रति अकीदत और सम्मान की भावना साफ झलक रही थी। धार्मिक आस्था और परंपराओं के साथ मोहर्रम का पर्व प्रयागराज में शांति और सौहार्द के साथ मनाया गया।
रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद