महाकुंभ 2025 अध्यात्म, संस्कृति और सनातन परंपरा का दिव्य संगम


महाकुंभ 2025 अध्यात्म, संस्कृति और सनातन परंपरा का दिव्य संगम
प्रयागराज:-महाकुंभ 2025, तीर्थराज प्रयागराज की त्रिवेणी संगम भूमि पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाला एक अलौकिक पर्व है। यह न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गौरव का केंद्र होगा, बल्कि भारत की सनातन परंपराओं का वैश्विक मंच भी बनेगा। “अत्र स्नात्वा मनुष्याणां पापमशेषतः क्षयम्” की पवित्र भावना से प्रेरित यह आयोजन धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का अनुपम संगम प्रस्तुत करता है।
प्रयागराज की दिव्यता और महत्ता
तीर्थराज प्रयागराज गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित वह भूमि है, जहां ऋषियों और मुनियों ने वेदों की रचना की। महाकुंभ का यह आयोजन भारतीय परंपरा की गहराई और सांस्कृतिक धरोहर का सजीव प्रमाण है।
महाकुंभ 2025 की विशेषताएं
इस महोत्सव में प्रयागराज को सजाने-संवारने के लिए ‘पेंट माय सिटी’ अभियान चलाया जा रहा है। शहर की दीवारों पर रामायण, महाभारत और शिव-पार्वती की कहानियां उकेरी गई हैं, जो इसे सांस्कृतिक संग्रहालय में बदल देती हैं।
संगम क्षेत्र में 100 एकड़ भूमि पर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित टेंट नगरी का निर्माण किया गया है, जहां 50,000 श्रद्धालु ठहर सकेंगे। साथ ही, नैनी क्षेत्र में द्वादश ज्योतिर्लिंग और नक्षत्र वाटिका के दर्शन के लिए शिवालय पार्क को विकसित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन में 20 से अधिक देशों की भागीदारी होगी, जहां योग, ध्यान और कला प्रदर्शन किए जाएंगे। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करते हुए यह महाकुंभ सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा।
स्वच्छता और तकनीकी नवाचार
महाकुंभ 2025 को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए प्लास्टिक मुक्त अभियान और ई-रिक्शा आधारित कचरा प्रबंधन प्रणाली लागू की गई है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नेविगेशन और वर्चुअल रियलिटी तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
पवित्र स्थल और आध्यात्मिक अनुभव
श्रृंगवेरपुर धाम, नागवासुकी मंदिर, अलोपीबाग मंदिर और मनकामेश्वर मंदिर जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश
महाकुंभ 2025 न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए सनातन परंपराओं और वैश्विक एकता का संदेश देगा। यह आयोजन आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का दिव्य उत्सव है, जो मानवता को जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
तीर्थराज प्रयागराज इस ऐतिहासिक और अलौकिक आयोजन के लिए आपके स्वागत को आतुर है।
रिपोर्ट- मो रिजवान अंसारी. जिला संवाददाता इलाहाबाद