Prayagraj will echo with the flowers of Mahamana's garden Allahabad University will be mesmerized
महामना की बगिया के फूल से गूँजेगा प्रयागराज मन्त्रमुग्ध होगा इलाहाबाद विश्वविद्यालय
सम्प्रति इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज के संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग में चयनोंप्रान्त रामरंग संगीत परंपरा की तीसरी पीढ़ी जो संगीत मनीषी वग्याकर पंडित रामाश्रय झा (रामरंग) जी के सुयोग्य शिष्य डॉ. रामशंकर जी के परम शिष्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार का संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर संगीत (गायन) के पद पर पदस्थापन हुआ है जो यह गौरव का विषय है | विदित हो कि इससे पूर्व डॉ. सुरेन्द्र कुमार, सिक्किम केन्द्रीय विश्वविद्यालय गंगटोक के संगीत विभाग में वरिष्ट सहायक आचार्य पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे |
भारतीय संगीत शिक्षा, साहित्य और परंपरा के साथ हीं लोक संसकृति और संगीत के विभिन्न विधाओं पर क्षेत्राधिकार रखने वाले डॉ. सुरेन्द्र के चयन से इस क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों में हर्षोत्सव की लहर व्याप्त हो गई है | इस अवसर पर डॉ. सुरेन्द्र ने कहा कि मेरा यह अथक प्रयाश रहेगा कि जो कुछ भी आजतक मैंने इस सांगीतिक जीवन में अपने गुरुओं द्वारा शिक्षा प्राप्त किया है उसे मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग के सभी प्रिय शिक्षक साथियों के साथ कदम से कदम मिलाकर यहाँ के छात्र-छात्राओं के हितों एवं इस विभाग की मर्यादाओं का क्रियान्वयन समुचित रूप से अपने ह्रदय कि गहराई से संपादित करूँगा, साथ हीं हमारे आत्मीय भाव की अभिव्यक्ति में इस प्राचीन विश्वविद्यालय मातहत महान से महान विद्वानों एवं विदुषीयों नें जो मार्ग प्रसस्थ किया है उस मार्ग की प्रतिष्ठा एवं विकास करना हीं मेरा पुरजोर कोशिश एवं अथक सार्थक प्रयास रहेगा |
सम्प्रति डॉ. सुरेन्द्र कुमार, कैमूर (भभुआ), भगवानपुर, बिहार के पढौती गाँव के रहवाशी हैं। विगत बारह वर्षों से गुरु डॉ. रामशंकर जी (रामरंग जी के सुयोग्य शिष्य BHU) के सनीध्य में संगीत (गायन) में शिक्षारत हैं | इनकी शिक्षा कैमूर (भभुआ) से मैट्रिक. इंटर और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस के संगीत एवं मंच कला संकाय से संगीत स्नातक, स्नातकोतर और दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के संगीत एवं ललित कला संकाय से एम.फिल और पीएच.डी. (पूर्वांचल की विभिन्न लोक कलाओं पर) किया है | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जूनियर रिसर्च फेलोशिप भी इन्हें प्राप्त हैं। विगत 12 वर्षों से संगीत सहायक आचार्य पद पर कार्य कर रहे है। जिसमें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के संगीत विभाग में अतिथि प्रवक्ता पद पर कार्य किया | तत्पश्चात जोधपुर विश्वविद्यालय में नियमित सहायक आचार्य पद पर कार्यरत थे, जहां विश्वविद्यालय के संगीत विभागाध्यक्ष पद पर भी कार्य करने का शुभ अवसर प्राप्त है | सिक्किम केन्द्रीय विश्वविद्यालय गंगटोक के संगीत विभाग में वारिष्ट सहायक आचार्य के रूप में 6 वर्षों तक सेवा दिए | वर्तमान में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर निरंतर सेवा देना शुरू किया है| देश और विदेश के विभिन्न समाचार पत्रों एवं राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में अनेकों संगीत शोध आलेख इनके प्रकाशित है । देश के कई राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार और कार्यक्रमों में मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान, शोधपत्र वाचन और प्रस्तुतियाँ दी है। विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा आयोजित सांगीतिक कार्यशालाओं में प्रशिक्षक के रूप में कार्य किये है | कनिष्क प्रकाशन दिल्ली से (भोजपुरी संस्कृति एवं लोकनाटयों में सांगीतिक परम्परा) पुस्तक प्रकाशित है और पुस्तक भारती टोरंटो कनाडा से तीन अंतरराष्ट्रीय बुक प्रकाशित हुई हैं जिसमें कलसामृत, शिल्प प्रवाह और भारतीय कला संवर्धनम संपादित इहोनें किया है । साथ हीं कई प्रतिष्ठित समितियों और संस्थानो में सदस्य/सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं| भारतीय संस्कृति संवर्धन समिति चेयरमैन (निर्भया सेना) भी रहे हैं | देश और विदेश के विभिन्न संस्थानों द्वारा कई अवार्ड/सम्मान महत्वपूर्ण पुरस्कारों से भी सम्मानित हैं | देश के अनेकानेक प्रतिष्ठित मंचों/TV चैनलों और अनेकानेक समारोहों में विविध सांगीतिक प्रस्तुतियां भी दिये है और निरंतर दे रहे हैं| साथ ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीज दिल्ली एवं मुंबई में इन्होने पांच वर्षों तक संगीत सहायक निर्देशन के रूप में कार्य/अनुभव भी प्राप्त है |