भद्रकाली मन्दिर मे सच्चे मन से की गई पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं शनिवार को यहां विशेष मेला लगता है


वाराणसी जिले के बड़ागांव स्थित सरावां गांव में मां भद्रकाली का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर धवकलगंज बाजार से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के पास वरुणा और बासुही नदियों का संगम होता है।
मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। शनिवार को यहां विशेष मेला लगता है।
नदी संगम के पास राजा भद्र सिंह का ऐतिहासिक किला है। यह किला अद्भुत कलाकारी का प्रतीक है। मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा है। मंदिर के प्रबंधक और स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को एक ब्राह्मण दंपति की हत्या का श्राप मिला था।
राजपुरोहित ने बताया कि दंपति को अमृत पान कराने से वे जीवित हो सकते हैं। यह अमृत मां भद्रकाली की कृपा से ही मिल सकता था। विक्रमादित्य राजा भद्रसेन के यहां नौकरी करने लगे। एक दिन उन्होंने राजा का पीछा किया और देखा कि वे मंदिर में अपना सिर काटकर खौलते तेल में डाल देते हैं।
मां भद्रकाली ने प्रसन्न होकर अमृत से राजा को जीवित
कर दिया। अगले दिन विक्रमादित्य ने भी ऐसा ही किया। मां ने उन्हें भी जीवित किया और तीन वरदान दिए। बाद में विक्रमादित्य ने मां को उज्जैन में स्थापित किया और ब्राह्मण दंपति को अमृत से जीवित किया। तभी से शनिवार को यहां विशेष पूजा की परंपरा चली आ रही है।

भद्रकाली मन्दिर मे सच्चे मन से की गई पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं शनिवार को यहां विशेष मेला लगता है
